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कब सुलझेगी अपना दल परिवार में पड़ी गांठ, सोनेलाल की 74वीं जयंती पर भी नहीं दिखाई दे रहा एका - Analysis of UP Bureau Chief Alok Tripathi

अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की 74वीं जयंती दो जुलाई को है. इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित तमाम लोग शामिल होंगे. ऐसे में अपना दल के परिवार के बीच एका होने के कयास लग रहे हैं. पढ़ें यूपी की ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण.

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Published : Jun 28, 2023, 7:56 PM IST

लखनऊ :राजधानी में आगामी दो जुलाई को अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की 74वीं जयंती पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. यह कार्यक्रम अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल की पार्टी की ओर से किया जा रहा है. इसमें देश के गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित तमाम गणमान्य लोग शामिल होंगे. वहीं दूसरी ओर अपना दल का दूसरा धड़ा अपना दल (कमेरावादी) भी सोनेलाल की जयंती मनाएगा. परिवार के दो धड़ों में बंटने के बाद से ही यह सिलसिला चला आ रहा है. सियासी हलकों में इस आयोजन की तैयारी के साथ ही एक बार फिर चर्चा में है कि क्या समाजवादी परिवार की तरह अपना दल परिवार भी फिर एक हो पाएगा.

सोनेलाल की 74वीं जयंती पर विशेष खबर.
कब सुलझेगी अपना दल परिवार में पड़ी गांठ.

वर्ष 2009 में ही अनुप्रिया पटेल का विवाह आशीष पटेल से हुआ. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में अपना दल और भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन हुआ, जिसमें अपना दल ने अनुप्रिया पटेल को वाराणसी की रोहनिया विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा और वह जीतने में कामयाब भी रहीं. दो साल बाद वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में अनुप्रिया पटेल अपनी मां कृष्णा पटेल की मर्जी के खिलाफ लोक मिर्जापुर सीट से चुनाव लड़ा और जीतने में कामयाब रहीं. इस चुनाव के बाद ही परिवार में मनमुटाव और विघटन आरंभ हुआ.

सोनेलाल की 74वीं जयंती पर विशेष खबर.



अक्टूबर 2014 को अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने बेटी अनुप्रिया पटेल को पार्टी के राष्ट्रीय सचिव पद से हटा दिया. कृष्णा पटेल ने कहा कि अनुप्रिया पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थीं. उन्हें पद से हटाया गया है, पार्टी से नहीं. उन्होंने आरोप लगाया कि अनुप्रिया ने लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी की सहमति के बिना राष्ट्रीय समिति की घोषणा कर दी. जानकार बताते हैं कि कृष्णा पटेल की असल नाराजगी अनुप्रिया के पति आशीष पटेल से थी. वह सार्वजनिक तौर पर कह भी चुकी हैं कि आशीष पटेल उनके पारिवारिक मामले में अनुचित रूप से दखल देते हैं. इसी दौरान कृष्णा पटेल ने बड़ी बेटी पल्लवी पटेल को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया. कहा जाता है कि अनुप्रिया को यह अच्छा नहीं लगा. कृष्णा पटेल को यह मलाल भी है कि वर्ष 2012 में अनुप्रिया द्वारा छोड़ी गई वाराणसी की रोहनिया विधानसभा सीट उप चुनाव में वह हार गईं. उन्होंने अपनी बेटी पर भितरघात करने का भी आरोप लगाया था.

कब सुलझेगी अपना दल परिवार में पड़ी गांठ.




राजनीतिक विश्लेषक डॉ. आलोक राय कहते हैं दरअसल मां-बेटी में राजनीतिक महत्वाकांक्षा की लड़ाई है. कृष्णा पटेल वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव खुद लड़ना चाहती थीं, किंतु बेटी के हठ के आगे वह मजबूर हुईं. उप चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वहीं अनुप्रिया पटेल को केंद्र सरकार में मंत्री पद भी मिल गया था, जिससे प्रतिस्पर्धा और खींचतान और भी बढ़ गई. कृष्णा पटेल ने यह भी कहा था कि अनुप्रिया उप चुनाव में अपने पति आशीष पटेल को लड़ाना चाहती थीं. कृष्णा पटेल की यह बात सही भी है कि जब अनुप्रिया विधायक बन ही गई थीं तो लोकसभा में किसी और को लड़ाना चाहिए था. डॉ आलोक राय करते हैं इन विवादों के बीच परिवार की संपत्तियों का मामला भी बढ़ता चला गया, जिससे दूरियां और बढ़ीं. इसके बाद अनुप्रिया पटेल ने 14 दिसंबर 2016 को अपना दल सोनेलाल नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली.

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