लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान कई रिश्तों में खटास आई है तो कई रिश्तों में दूरियां मिट रही है. अपना दल (सोनेलाल) अध्यक्ष व केंद्र में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने अपनी मां कृष्णा पटेल के सम्मान में अपना दल के वर्चस्व वाली सीट प्रतापगढ़ सदर से प्रत्याशी न घोषित करने का फैसला किया है. कृष्णा पटेल सपा गठबंधन की संयुक्त प्रत्याशी घोषित की गई हैं.
भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन सहयोगी अपना दल (एस) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेश पटेल ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि प्रतापगढ़ सीट से मौजूदा समय में उनका विधायक राज कुमार पाल है. इस बार भी ये सीट उनके कोटे में आई थी. लेकिन वो कृष्णा पटेल के फैसले का इंतजार कर रहे थे. अब जब वो वहां से चुनाव लड़ने जा रही हैं. ऐसे में अब हम अपना प्रत्याशी वहां से नहीं उतरेंगे. प्रतापगढ़ सीट से निवर्तमान विधायक राज कुमार पाल है. उनसे पहले साल 2017 के चुनाव में संगम लाल गुप्ता इस सीट पर अपना दल कोटे से विधायक बने थे. साल 2019 के लोक सभा चुनाव में संगम लाल के सांसद चुने जाने पर उप चुनाव हुए जिसमें राज कुमार पाल विधायक बने थे.
गले मिलने की पहले भी हो चुकी हैं कोशिशें
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले खबरे आई थी कि अनुप्रिया पटेल ने सुलह-समझौता करने के लिए कृष्णा पटेल को राज्य सरकार में मंत्री पद दिलवाने, अपने पति आशीष पटेल की जगह विधान परिषद भेजने, 2022 के विधानसभा चुनाव में टिकट देकर जितवाने और उनके समर्थकों को भी दो-तीन सीटें देने की पेशकश की थी. लेकिन कृष्णा पटेल ने इस सुलह समझौता को सिरे से खारिज कर दिया था. अंदरखाने से खबरे आई कि पल्लवी पटेल व उनके पति पंकज निरंजन समझौते के खिलाफ थे.
क्यों जुदा हुई थी कृष्णा-अनुप्रिया की राहें?
साल 2009 में सोनेलाल पटेल की सड़क हादसे में मौत के बाद उनकी पत्नी कृष्णा पटेल ने अपना दल पार्टी का काम-काज अपने हाथ में ले लिया. इस दौरान अनुप्रिया और उनके पति आशीष भी पार्टी के लिए सक्रियता से काम करने लगे थे. अनुप्रिया काफी पढ़ी लिखी थी और ये माना जाए कि उनमें तब तक राजनीतिक समझ भी आ चुकी थी. जिस वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच अनुप्रिया काफी पसंद आने लगी थी. 2012 में अपना दल को कामयाबी मिली, अनुप्रिया पटेल वाराणसी की रोहनिया सीट से विधानसभा चुनाव जीत गईं. इसके बाद कृष्ण पटेल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन किया.