लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने टूरिज्म विभाग का मैनेजिंग डायरेक्टर बनकर मुम्बई के फिल्म मेकर संतोष उपाध्याय को ठगने के मामले में अभियुक्त लवकुश मिश्र की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. न्यायालय ने अभियुक्त के अपराध को प्रथम दृष्टया गंभीर करार दिया है.
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फर्जी पहचान बताकर वादी के साथ धोखाधड़ी की
यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने लवकुश मिश्र की अग्रिम जमानत याचिका पर पारित किया. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि साक्ष्यों में आया है कि अभियुक्त टूरिज्म निदेशालय में प्रबंध निदेशक अखंड प्रताप सिंह के रूप में कुर्सी पर बैठा था. फर्जी पहचान बताकर वादी के साथ धोखाधड़ी की. अपर शासकीय अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्त ने फिल्म मेकर संतोष उपाध्याय के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में टूरिज्म विभाग के लिए नौ डाक्यूमेंट्री बनाने का फर्जी टेंडर दिया. इसके लिए उसने एक फर्म के अकाउंट में बैंक गारंटी के रूप में 25 लाख रुपये मंगवाए व दस लाख रुपये नगद भी लिए.
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कोर्ट ने खारिज कीं सभी दलीलें
वहीं, अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि उसे इस मामले में फर्जी फंसाया गया है. अभियोजन पक्ष के पास उसके विरुद्ध ठोस साक्ष्य नहीं हैं. हालांकि कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया. उल्लेखनीय है कि इस मामले की प्राथमिकी फिल्म मेकर ने गोमती नगर थाने में वर्ष 2018 में दर्ज कराई थी.