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सोनभद्र के आदिवासी गांवों में पहुंचा LU का एंथ्रोपोलॉजी विभाग, मानव विज्ञान के कई विषयों पर होगी शोध - मानव विज्ञान विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय

हाल ही में लखनऊ विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग के स्नातकोत्तर छात्रों ने सोनभद्र गांवों में पंद्रह दिन का फील्ड ट्रिप प्रारंभ किया है. यह ट्रिप विभागाध्यक्ष डॉ. केया पांडेय के निर्देशन में शुरू किया गया है.

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एंथ्रोपोलॉजी विभाग के छात्रों ने सोनभद्र के आदिवासी गांवों में किया विजिट

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Published : May 29, 2022, 4:40 PM IST

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग के स्नातकोत्तर छात्रों ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के आदिवासी गांवों में पंद्रह दिन का फील्ड ट्रिप प्रारंभ किया है. सोनभद्र में 17 जातीय समूह हैं जिन्हें भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति की सूची में जोड़ा गया है. इस क्षेत्र और इसके लोगों पर वर्तमान साहित्य नगण्य है. इसलिए मानव विज्ञान विभाग (Anthropology Department) के छात्रों ने नीतिगत मामलों और नृवंशविज्ञान (Ethnography) संबंधी आंकड़ों के बारे में रिपोर्ट देने के सकारात्मक प्रयास में इस क्षेत्र में कार्य करना प्रारंभ किया है. इस अध्ययन का विशेष महत्व इस तथ्य से परिलक्षित होता है कि यह क्षेत्र पहले भी नक्सली गतिविधियों से ग्रस्त रहा है. इसे भारत सरकार द्वारा रेड कॉरिडोर क्षेत्र में भी माना गया है.

नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए के नृवंशविज्ञान पाठ्यक्रम के चौथे सेमेस्टर में एक अनिवार्य प्रश्न पत्र को जोड़ा गया है जो यह छात्रों को विभिन्न प्रकार की सूचनाओं और उनकी सटीक व्याख्याओं को प्राप्त करने के लिए मदद करेगा. यह न केवल छात्रों के ज्ञान को समृद्ध करेगा बल्कि अब तक बहिष्कृत और कम प्रतिनिधित्व वाले आदिवासियों की स्थिति पर प्रकाश डालने में भी मदद करेगा.

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पच्चीस छात्रों की इस टीम ने सामाजिक संस्थानों के प्रलेखन, भोजन की आदतों, लोक गीतों, बुनियादी ढांचे, राजनीतिक भागीदारी, नृवंशविज्ञान, महिलाओं की स्थिति, विकास परियोजनाओं और वैश्वीकरण के प्रभाव सहित विविध विषयों को शोध के लिए चुना है. टीम का उद्देश्य न केवल ऐतिहासिक और तुलनात्मक डेटा ढूंढना है बल्कि जनजातीय लोगों की राय, समस्याएं और दृष्टिकोण जानने और सरकार को उनके बारे में जानकारी प्रदान करने का भी लक्ष्य है. साथ ही, छात्र उन्हें वर्तमान में चल रही आदिवासी लाभकारी सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करने के उपाय भी कर रहे हैं. ऐसा करने में वे भावी सामाजिक डॉक्टरों और नृवंशविज्ञानियों के रूप में अपनी भूमिकाओं को पूरा करने की उम्मीद करते हैं ताकि सोनभद्र के जनजातियों लोगों को रोजगार मिले और वे एक दिन बेहतर जीवन जी सकें.

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