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लखनऊ: रेलवे स्टेशन पर घास खाकर जान बचा रहे बेजुबान, गिन-गिनकर काट रहे दिन - कोरोना वायरस

लॉकडाउन का असर इंसानों पर ही नहीं, बेजुबान जानवरों पर भी दिखाई दे रहा है. राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर जहां पहले ट्रेनों के संचालन के समय बेजुबानों को खाने के लिए कुछ मिल जाता था, वहीं अब वे खाने के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं. उन पर ध्यान देने वाला भी कोई नहीं है...चारबाग रेलवे स्टेशन पर घास खाकर जान बचा रहे बे

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चारबाग रेलवे स्टेशन पर घास खाकर जान बचा रहे बेजुबान.

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Published : Mar 27, 2020, 11:10 AM IST

लखनऊ: कोरोना वायरस के प्रभाव के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है. सरकार हर इंसान के लिए तो खाने-पीने के इंतजाम करने पर ध्यान दे रही है, लेकिन बेजुबानों की जान बिना खाने के कैसे बचेगी, शायद इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है. रेलवे स्टेशन पर बंदर अपनी जान बचाने के लिए घास खाने को मजबूर हैं. चूहों को पटरी पर कुछ भी खाने को नहीं मिल रहा तो श्वान भी इधर-उधर खाने के लिए भटक रहे हैं.

...आखिर इन बेजुबान जानवरों की कौन सुनेगा.

ये बेजुबान अपनी जान बचाने के लिए इन दिनों जद्दोजहद कर रहे हैं और किसी तरह गिन-गिनकर अपने दिन काट रहे हैं. इतना ही नहीं, इन बेजुबानों को खाना नहीं मिल रहा है तो वे आक्रामक हो रहे हैं. 6 और 7 नंबर प्लेटफार्म की तरफ जाने से अब कर्मचारी भी कतरा रहे हैं.

घास खाने को मजबूर हैं बंदर
चारबाग रेलवे स्टेशन पर आम दिनों में यात्रियों से खाने का सामान छीनकर या फिर यात्रियों द्वारा स्वेच्छा से खिलाए जाने पर बंदरों का पेट भर जाता था, लेकिन आजकल यह बंदर स्टेशन पर यात्रियों का आवागमन बंद होने से खाली पेट ही घूम रहे हैं.

लॉकडाउन के चलते स्टेशन पर जो खाने-पीने के स्टाल लगे हुए हैं, वह भी बंद हैं. ऐसे में खाना न मिलने के कारण बंदर इन स्टॉल्स में तोड़फोड़ कर रहे हैं. स्टेशन पर रखी वस्तुओं को तितर-बितर कर रहे हैं. कुछ नहीं मिल रहा है तो वह मजबूरी से घास खाकर किसी तरह जिंदगी काट रहे हैं. अभी 2 दिन पहले ही खाना न मिलने के चलते एक बंदर की मौत भी हो गई.

पटरी पर ट्रेन की जगह दौड़ते दिखाई दे रहे चूहे
इसी तरह आम दिनों में जब ट्रेन का संचालन होता था तो लोग पटरी पर कुछ न कुछ खाने की वस्तुएं फेंक दिया करते थे, जिसका इस्तेमाल चूहे अपना पेट भरने में करते थे. लेकिन इन दिनों चूहों का भी पेट खाली है और वह भोजन की तलाश में पूरी पटरी पर इधर-उधर दौड़ रहे हैं.

...आखिर कब खत्म होगा कोरोना वायरस
स्टेशन के आसपास घूमने टहलने वाले श्वान भी अब भूख से बिलख रहे हैं. उन्हें भी कहीं खाना नहीं मिल रहा है. इन सभी बेजुबानों को इंतजार है कि कब कोरोना वायरस जड़ से खत्म हो और ट्रेन का संचालन पटरी पर लौटे, जिससे खाने का बंदोबस्त हो सके.

यह बेजुबान तो ट्रेनों से फेंके गए राशन के भरोसे ही रहते हैं. पिछले कई दिनों से इन्हें राशन ही नहीं मिल रहा है. ऐसे में यह भी भूखे हैं. इनके लिए भी कोई व्यवस्था जरूर होनी चाहिए.
-मनोज कुमार, जेई, कैरिज एंड वैगन

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