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संवेदनहीनता : एंबुलेंस चालक और डेड बॉडी ढोने वाले लोगों से कर रहे मोटी वसूली

लखनऊ में कोरोना संक्रमण के बीच इन दिनों कई ऐसे एंबुलेंस चालक और डेड बॉडी ढोने वाले देखे जा रहे हैं जो मौके का फायदा उठा रहे हैं. मरीजों को अस्पताल पहुंचाने व संक्रमित डेड बॉडी को श्मशान पहुंचाने के लिए 15 से 25 हजार रुपये तक चार्ज कर रहे हैं. इन पर ना तो जिला प्रशासन कोई कार्रवाई कर रहा है ना ही निगम कोई लगाम लगा पा रहा है. इससे इनके हौसले बुलंद हैं.

एंबुलेंस चालक और डेड बॉडी ढोने वाले लोगों से कर रहे मोटी वसूली
एंबुलेंस चालक और डेड बॉडी ढोने वाले लोगों से कर रहे मोटी वसूली

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Published : Apr 21, 2021, 5:48 PM IST

लखनऊ :कोरोना संक्रमण के बीच जहां देश में त्राहिमाम मचा है, कई सामाजिक संस्थाएं, सरकार और समाजसेवी आम लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं. वहीं, कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इस आपदा के दौर में भी लोगों का शोषण करने से बाज नहीं आ रहे.

इन दिनों कई ऐसे एंबुलेंस चालक और डेड बॉडी ढोने वाले देखे जा रहे हैं जो मौके का फायदा उठाकर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने व संक्रमित डेड बॉडी को श्मशान पहुंचाने के लिए 15 से 25 हजार रुपये तक चार्ज कर रहे हैं. इन पर ना तो जिला प्रशासन कोई कार्रवाई कर रहा है ना ही निगम कोई लगाम लगा पा रहा है. इससे इनके हौसले बुलंद हैं.

मनमानी वसूली कर रहे एंबुलेंस चालक

राजधानी में 3 दिन पूर्व अदनान दानिश के परिवार में एक व्यक्ति की मौत हो गई. किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से उनका घर मात्र एक किलोमीटर दूर है. पर एंबुलेंस चालक ने शव ले जाने के लिए इस एक किलोमीटर की दूरी के लिए उनसे 2200 रुपये वसूल लिए. वहीं, सेवानिवृत्त बैंक कर्मी अनिल रस्तोगी के साथ भी ऐसी ही घटना पेश आई. शुक्रवार को उनके एक परिजन की मौत हो गई.

डेड बॉडी को श्मशान घाट पहुंचाने के लिए डेड बॉडी ढोने वाले गाड़ी संचालक ने उन्हें 20,000 रुपये का मोटा किराया बता दिया. लोगों का आरोप है कि इस संबंध में ना तो जिले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कुछ सुन रहे हैं और ना ही कोविड-19 कंट्रोल रूम का नंबर उठता है. ऐसे में लोगों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

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गोमती नगर से मेडिकल कॉलेज तक एंबुलेंस चालक ने लिए 15 हजार

गोमती नगर निवासी परिवार के एक व्यक्ति की हालत बिगड़ी तो उसे केजीएमयू भर्ती कराने की सलाह दी गई. जब एंबुलेंस चालक से मेडिकल कॉलेज तक पहुंचाने की बात की गई तो उसने 15,000 रूपयों की मांग की. परिजनों को मजबूरन एंबुलेंस बुक करना पड़ा.

सरकार का नहीं है कोई नियंत्रण

राजधानी लखनऊ में लगातार जिस तरह संक्रमण बढ़ रहा है, उसके चलते यहां की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह बदहाल होती जा रहीं हैं. अस्पतालों में ना तो बेड है और ना ही वेंटिलेटर. मरीजों को ऑक्सीजन भी नहीं मिल पा रही है. एंबुलेंस की भी कमी है. बड़ी संख्या में लोग प्रतिदिन में दम तोड़ रहे हैं.

मंगलवार को एक व्यक्ति अपने परिजनों को बचाने के लिए सीएमओ की गाड़ी के सामने लेट गया. उसने सीएमओ से गुहार लगाई कि अस्पताल में एक बेड दिया जाए या गाड़ी चढ़ा कर उसे मार दिया जाए. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजधानी की स्वास्थ्य सेवाएं कितनी बदहाल हो चुकी हैं.

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