लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने भगवान राम के नाम के सहारे ही अपना राजनीतीक झंड़ा बुलंद किया है. 2017 से उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद योगी अयोध्या का बहुत ही ध्यान दे रहे हैं. 2017 में कुर्सी संभालते ही अयोध्या की दीवाली भव्य तरीके से मनाई गई. सरकार की तरफ से अयोध्या में दीपोत्सव का आयोजन किया गया. इस बार भी अयोध्या में दीपोत्सव बड़े ही भव्यता के साथ मनाया गया.
अयोध्या में दीपोत्सव का योगी आदित्यनाथ को मिलेगा राजनीतिक लाभ. अपने ही रिकार्ड को तोड़ेगी अयोध्याअयोध्या एक बार फिर से विश्व रिकॉर्ड बनाने को लेकर तैयार है. पौराणिक नगरी को छोटी दीपावली के दिन दुल्हन की तरह सजाया गया है.यहां सौंदर्य की एक झलक पाने के लिए मुख्य उत्सव से पहले ही लोगों की भीड़ उमड़ना शुरू हो गया है. शनिवार को समूचे अयोध्या और सभी घाटों पर पांच लाख 51 हजार दीये जलाए गए.
क्या है राजनीतीक मायने
भाजपा हमेशा हिंदुत्व के एजेंडे को लेकर आगे बढ़ा है. पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि भाजपा की पहचान हिंदुत्व और भगवान राम से है. भाजपा का राम से इतना गहरा नारा है कि चाहे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह हों या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी विभिन्न मंचों से जय श्रीराम का नारा लगाते रहे हैं. यही वजह है कि योगी सरकार अपने राम का खास ध्यान दे रही है.
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योगी सरकार अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम को लगातार बढ़ा रही है. योगी सरकार प्रदेश और देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोगों को भगवान राम, उनके विचार, अयोध्या, राम लीला व भारतीय संस्कृति के बारे में बताना चाह रही है. योगी सरकार ने दीपोत्सव कार्यक्रम को राज्य मेला का दर्जा दिया है. पिछली कैबिनेट बैठक में दीपोत्सव मेले के प्रांतीय मेला का दर्जा दिए जाने को मंजूरी मिल गयी है. प्रांतीय मेला घोषित करने से अब आगे इस पर होने वाला खर्च सरकार वहन करेगी. सरकार कोई भी हो अब मेले का आयोजन होता रहेगा.
त्रेता युग में जिस पर्व को मनाया गया, उसे आज उत्तर प्रदेश की सरकार मना रही है. दीपावली का असली उद्गम स्थल अयोध्या ही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति स्पष्ट है. वह इसे सांस्कृतिक विरासत के रूप में ले रहे हैं. उसे आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. वह इसमें राजनीति भले ही न कर रहे हों, लेकिन यह बात भी सही है कि उन्हें इसका राजनीतिक लाभ जरूर मिलेगा.
- पी.एन. द्विवेदी, राजनीतिक विश्लेषक