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औरंगजेब के समय से अबतक शिवभक्त थे दुखी, पीएम मोदी ने दिया भव्य स्वरूप : अमित शाह

राजधानी लखनऊ में सहकार भारती के तीन दिवसीय अधिवेशन के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह. इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम एवं उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड की 155 करोड़ की परियोजनाओं का किया लोकार्पण. इस दौरान विपक्ष पर साधा जमकर निशाना.

अमित शाह
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Published : Dec 17, 2021, 8:06 PM IST

लखनऊ :इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान मेंगृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम एवं उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड की 155 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण किया. इस दौरान अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को नया रूप देकर जो कार्य किया है, उससे औरंगजेब के समय से लेकर आज तक के सभी श्रद्धालुओं की आत्मा को शांति मिली होगी. उन्होंने कहा की बहन जी और बबुआ के काल में सहकारिता विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ था. योगी सरकार ने इस भ्रष्टाचार का उत्तर प्रदेश में सफाया कर दिया.

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अभी तीन दिन पहले मोदी जी ने बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया. औरंगजेब से लेकर कॉरिडोर के लोकार्पण तक जो जो श्रद्धालु वहां जाते थे, वह दुखी होते थे. मगर अब वहां भव्यता और दिव्यता का रूप प्रधानमंत्री ने दिया है. अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, यह शुभ दिन नरेंद्र मोदी के समय में आया. यूपी देश का सबसे बड़ा सूबा है. यहां की राजनैतिक व्यवस्था चरमराई हुई थी. 2017 में यहां 300 सीटों से सरकार बनी. यूपी अब कंट्रीब्यूटर है. माफिया अब प्रदेश के बाहर हैं.


दरअसल, ये बातें सहकार भारती के तीन दिवसीय अधिवेशन के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अमित शाह ने कहीं. उन्होंने कहा कि मैं सहकार समिति का धन्यवाद करना चाहता हूं. मैं लम्बे समय तक सहकारिता से जुड़ा रहा कार्यकर्ता रहा हूं. चुनाव लड़ा हूं हारा भी हूं और जीता भी हूं. उन्होंने कहा कि इसलिए बहुत आनंद का अनुभव किया है. लक्ष्मण राव ने सहकार भारती का गठन किया था, मैं उनको सुनता रहा. देश में ऐसी कोई और संस्था नहीं है. उद्देश्य चुनाव लड़ना नहीं है. केवल सहकारिता को मजबूत करना ही उद्देश्य है. यह पवित्र संस्था है. आप लोग आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य पर काम कर रहे हो. यह एक छोटा से बीज था जो आज वट वृक्ष हो चुका है.


उन्होंने कहा कि देश भर के संगठनों की मांग थी कि सहकारिता को मजबूती देते हुए अलग मंत्रालय होना चाहिए. देश की जनता ने जब नरेंद्र मोदी को दोबारा चुना तो दूसरी कैबिनेट में ही यह विचार आया और विभाग बन गया. सहकारिता मंत्री पद नहीं एक जिम्मेदारी है. सहकारिता की जब बात करते हैं तो लोगों को लगता है कि यह क्या है. लोगों को मालूम नहीं होगा कि लिज्जत पापड़ और अमूल दूध सहकारिता का उदाहरण है. इफको भी एक सफल कोऑपरेटिव है. कृषि अर्थ, दूध, गेहूं, धान और खाद वितरण और उत्पादन में कोऑपरेटिव का बहुत बड़ा शेयर है. इस सबका मुनाफा करोड़ों लोगों के बैंक अकाउंट में जमा हो जाता है. आत्मनिर्भर भारत की कल्पना बिना सहकारिता के सिवाय संभव नहीं है.

हम सबको नरेंद्र मोदी के निर्णय के साथ खड़ा होना चाहिए. आती जाती सरकारों की वजह से कई राज्यों में सहकारी आंदोलन समाप्त हो रहा है. सहकार भारती की गतिविधि बढ़ानी चाहिए. आपको काम के तीन हिस्से बनाने होंगे. विकसित, विकासशील और शिथिल राज्यों के लिए अलग अलग व्यवस्था करनी होगी. ऑडिट, चुनाव और नियुक्ति पारदर्शी हो तभी आंदोलन को गति मिलेगी.


अमित शाह ने कहा कि बहुत जल्द ही नई सहकारिता नीति लाएंगे. सभी प्राइमरी एग्रीकल्चर सोसाइटी को कम्प्यूटराइज्ड किया जाएगा. पूरी व्यवस्था पारदर्शी होगी. बहुत जल्द परिवर्तन होंगे. सुझाव के लिए डेढ़ माह वेबसाइट पर मौका दिया जाएगा. बहुत जल्द एक मसौदा रखा जाएगा. हम जब प्राइमरी मेम्बर को ट्रेनिग देंगे तभी सोसाइटी ठीक से कम करेंगी. प्राकृतिक खेती के लिए भी सहकारिता को सामने आना होगा.

अमित शाह ने कहा- हम एक योजना इस पर भी बना रहे हैं. सहकारिता के साथ अब दोयम दर्जे का व्यवहार नहीं होगा. सभी का विकास न साम्यवाद कर सकता है और न पूंजीवाद कर सकता है. केवल सहकारिता ही सभी का बराबर विकास करेगा. जहां गांव में सोसाइटी नहीं है, वहां नए इंतजाम किया जाएगा. समस्या के साथ समाधान भी लाना चाहिए. सहकार भारती को समाधान पर काम करना चाहिए.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा- आप सभी तीन हजार प्रतिनिधियों का स्वागत करता हूं. हम सब जानते हैं उत्तर प्रदेश भारत की आत्मा का प्रदेश है. राम की जन्मभूमि, काशी विश्वनाथ और मथुरा यहां है. पवित्र नदियों का संगम है. कुंभ की धरती उत्तर प्रदेश है. सहकारिता भारत की आत्मा है. इसका दर्शन करना हो तो गांव-गांव में होने वाले आयोजन जहां प्रशासन शासन की कोई सहभागिता नहीं होती है.

योगी ने कहा कि सभी लोग इसमें सहयोग करते हैं. यज्ञ के आयोजन इसका एक उदाहरण है. किसी एक व्यक्ति की पूंजी स्वीकार्य नहीं होता. हर परिवार इसमें योगदान करता है. यह समाज जोड़ने की सबसे अच्छी इकाई होती है. संस्कार है तो संस्कृति है. इससे ही देश की एकता और अखंडता बनी रहती है. सहकारिता माफिया के खूनी पंजों में जकड़ गई थी. हम प्रधानमंत्री के आभारी हैं. सहकारिता आंदोलन को सरकार ने नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. जब जनता कर्फ्यू में पूरा देश प्रधानमंत्री के साथ था, तब ही तय हो गया था कि कोरोना भारत का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेगा.

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राष्ट्रीय महामंत्री उदय जोशी सहकार भारती के लिए यह शानदार अवसर है. बिना संस्कार नहीं सहकार ये हमारा ध्येय है. हम पिछले 40 साल से काम कर रहे हैं. हमारे 20 प्रकोष्ट बन चुके हैं. बुनकर, हाउसिंग, विधि और महिला प्रकोष्ठ बन चुके हैं. प्रमुख कार्यकर्ता मौजूद हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार है. उन्होंने सहकारिता से विकास मानकर स्वतंत्र सहकारिता विभाग को बनाया है.

सीएम योगी ने कहा- देश की अर्थव्यवस्था और किसानों की आय दोगुनी करने में यह अहम भूमिका निभा रहा है. आने वाले समय में फाइव ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था होगी. क्या सहकारिता आंदोलन राजनीति से अलग हो या सरकार का इस पर नियंत्रण हो. जब अटल बिहारी प्रधानमंत्री थे तब राष्ट्रीय स्तर पर नीति बनी थी, वैसी नीति होनी चाहिए. कोऑपरेटिव सोसाइटी के लिए बेहतर होना चाहिए. सहकारी समिति के पंजीकरण आसान होना चाहिए. दुग्ध समितियों को सहायता मिलनी चाहिए. देश में तीन लाख दुग्ध समिति होनी चाहिए.


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