लखनऊ: एंबुलेंस हड़ताल की वजह से लोगों को ऑटो, प्राइवेट एंबुलेंस और निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है. एंबुलेंस चालकों का कहना है कि पायलट प्रोजेक्ट को वापस लिया जाए. उनका कहना है कि हमसे 12 घंटे काम कराया जाता है और वेतन समय से नहीं मिलता है.
मिर्जापुर में एंबुलेंस के बजाए ऑटो का सहारा ले रहे मरीज और तीमारदार
मिर्जापुर में एंबुलेंस की हड़ताल के वजह से जिले की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं. डिलीवरी के बाद महिलाओं को घर जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल रहा है. लोग मजबूरी में ऑटो कर घर जा रहे हैं. तीमारदार चंद्रेश कुमार का कहना है कि बड़े ऑपरेशन से डिलीवरी कराई गई है. मरीज को एंबुलेंस से घर पहुंचाया जाना चाहिए लेकिन हड़ताल के चलते एंबुलेंस नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते हम ऑटो से घर जा रहे हैं.
चंदौली में एम्बुलेंस चालकों ने की हड़ताल
चंदौली में एम्बुलेंस चालकों ने सभी एंबुलेंस को जिला अस्पताल परिसर में खड़ा कर दिया और इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगे. एंबुलेंस चालकों का कहना है कि जिस तरह से नया पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया है, उसे वापस लिया जाए. चालकों की मांगों को जानने के लिए सैयदराजा विधायक सुशील सिंह धरना स्थल पहुंचे. उन्होंने एम्बुलेंस चालकों से मांग पत्र लेकर उचित कार्रवाई की बात कही.
सोनभद्र में एंबुलेंस चालकों की मांग पायलट प्रोजेक्ट को वापस लिया जाए
सोनभद्र में जनपद में अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर एंबुलेंस ड्राइवरों ने जिला अस्पताल में सभी एंबुलेंस को खड़ा कर दिया और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए. जिला अस्पताल के सामने एंबुलेंस कर्मचारियों ने प्रदर्शन करते हुए मांग की कि पायलट प्रोजेक्ट को वापस लिया जाए. इस प्रोजेक्ट के द्वारा कंपनी हमसे मजदूर की तरह काम लेना चाहती है. प्रत्येक 108 और 102 एंबुलेंस कर्मचारी को एक मरीज को हॉस्पिटल पहुंचाने पर मात्र 60 रुपये कैश ही मिलेगा. वहीं जिले में एम्बुलेंस सेवाएं ठप्प होने की वजह से मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.