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पसमांदा मुस्लिम महाज का सपा पर हमला, प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने लगाए गंभीर आरोप - समाजवादी पार्टी

वसीम राईन ने कहा कि 1992 में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के गठन के बाद से उत्तर प्रदेश के कुल 19.33% मुसलमानों में 85% से ऊपर पसमांदा यानी पिछड़े-दलित मुसलमान, सपा को अपना ज्यादा से ज्यादा वोट देते आये हैं.

पसमांदा मुस्लिम महाज
पसमांदा मुस्लिम महाज

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Published : Jul 25, 2022, 9:15 PM IST

लखनऊ : आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज (All India Pasmanda Muslim Mahaj) के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने समाजवादी पार्टी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने पार्टी को धोखेबाज, मक्कार, फरेबी करार देते हुए सवाल दागा कि जिस पसमांदा मुसलमान को जनाब अखिलेश ने महज वोट बैंक बनाये रखा, राजनीति से लेकर मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी से महरूम कर दिया, आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक उत्थान पर पहरा लगाए रखा, वह समाज आखिर किस बिना पर सपा के साथ खड़ा हो?

वसीम राईन ने कहा कि 1992 में समाजवादी पार्टी के गठन के बाद से उत्तर प्रदेश के कुल 19.33% मुसलमानों में 85% से ऊपर पसमांदा यानी पिछड़े- दलित मुसलमान, सपा को अपना ज्यादा से ज्यादा वोट देते आये हैं. उसके बाद भी चाहे समाजवादी पार्टी की सरकार रही हो या उसका राष्ट्रीय या प्रदेश संगठन, हमेशा ही पसमांदा मुसलमानों को उनकी आबादी के अनुपात में, उनकी सियासी हक हिस्सेदारी देने में नजरअंदाज किया. धोखेबाजी की है. उन्होंने कहा कि पिछले 30 सालों को तो छोड़ दीजिए, जब से अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री रहे या फिर समाजवादी पार्टी के प्रदेश या राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, तबसे उत्तर प्रदेश के कुल वोटरों में अकेले 16% वोटों की हैसियत रखने वाले पसमांदा मुसलमानों की सपा सरकार और संगठन में सियासी हिस्सेदारी देखिए. इस दौरान उन्होंने कई सवाल किये.


प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने अपील करते हुए कहा कि अब पसमांदा मुसलमानों को ये तय करना है कि आजमगढ़, अम्बेडकरनगर सहित लगभग आधा दर्जन जिलों में सभी सीटों पर जीत हुई थी, समाजवादी पार्टी का गढ़ सिर्फ हमारे ही दम पर ही बना हुआ है. समाजवादी पार्टी को वोट और सपोर्ट देकर अपने साथ हुए अब तक के सभी सियासी नाइंसाफी और धोखेबाजी को सही ठहराना है या फिर अपने साथ हो रहे सियासी नाइंसाफ़ी के मुद्दे पर सपा का खुलकर विरोध या बायकाट कर 2024 में समाजवादी पार्टी को बुरी तरह से हराना है.

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उन्होंने कहा कि पसमांदा मुसलमानों के लिए सपा सहित सभी तथाकथित फर्जी सेक्युलर दलों में, उनके सियासी हिस्सेदारी मिलने का रास्ता जरूर खुल जाएगा वोट हमारा राज तुम्हारा अब नहीं चलेगा. सपा ने कभी भी लोकसभा एवं राज्यसभा में संविधान पर काला धब्बा बना आर्टिकल 341/3 पर लगी पाबंदी पर कोई आवाज़ नहीं उठाई. सिर्फ पसमांदा मुसलमानों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करते रहे हैं.

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