लखनऊ: कभी बागों का शहर कहा जाने वाला लखनऊ आज एक बाग के कारण फिर चर्चा में है. यहां के एक बागबान ने अपनी मेहनत से वह कर दिखाया है, जो असंभव लगता है. वह अपने बाग में विपरीत जलवायु के बावजूद तमाम फल और अन्य वनस्पतियां पैदा कर रहे हैं. बेहद सर्द मौसम में होने वाला सेब इनके बाग में 45 डिग्री के तापमान में फलों से लगा है. यही नहीं अंजीर और चेरी सहित तमाम ऐसे पेड़-पौधे हैं, जिनकी कल्पना भी उत्तर प्रदेश की जलवायु में नहीं की जाती.
लखनऊ के इस बाग में पैदा हो रहीं सेब-अंजीर सहित तमाम वनस्पतियां, आप हो जाएंगे हैरान
राजधानी लखनऊ के एक बाग में विपरीत जलवायु के बावजूद तमाम फल और अन्य वनस्पतियां पैदा हो रही हैं. यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी की स्पेशल रिपोर्ट में जानिए बागबान एससी शुक्ला ने इस असंभव को कैसे संभव किया?
बागबानी के क्षेत्र में शोहरत बटोरने वाले एससी शुक्ला को अपने काम के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं. आम की प्रजातियों को लेकर उनके काम की सराहना और चर्चा हर जगह होती है. अब अन्य वनस्पतियों को लखनऊ की धरती पर सहेजने का संकल्प लेकर उन्होंने सबको हैरान कर दिया है. शुक्ला जी के बाग में इस चिलचिलाती गर्मी में सेब खूब फल रहा है. वह बताते हैं कि तैयार होने पर इस सेब के जायके में भी कोई अंतर नहीं होता है. इस बाग में सिंगापुरी चेरी का वृक्ष भी फलों से लहलहा रहा है. बागबान शुक्ला बताते हैं कि इस वृक्ष के फल चिड़ियों को खूब भाते हैं. यहां की सुबह-शाम परिदों के कोलाहल से सराबोर रहती है. अंजीर के पेड़ में भी खूब फल आ रहे हैं. दो-ढ़ाई माह बाद अंजीर भी खाने लायक तैयार हो जाएगी. शुक्ला बताते हैं कि उन्हें शौक था कि वह विविध प्रकार की वनस्पतियों का संग्रह करें. इसलिए वह जहां कहीं भी गए, जो भी अलग प्रकार की वनस्पति मिली ले आए और उसे तैयार किया. वह कहते हैं कि पौधे बच्चों की तरह सेवा चाहते हैं. यदि उनकी ठीक से देख-भाल की जाए, तो वह चल ही जाते हैं.
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एससी शुक्ला के बाग में हींग, बड़ी इसलाइची, इटली का पमेलो, तेज पत्ता, रुद्राक्ष, चंदन, ड्रैगन फ्रूट, कॉफी, सिंगापुरी चेरी, तेजपत्ता, ग्राफ्टेड मोसम्मी, ग्राफ्टेड अमरूद, दालचीनी, काला अमरूद, काला आम, नासपाती, काली नीम, इटली की जैतून, बाली की लौकी, सुपाड़ी, कॉफी, चाय, काले बांस सहित तमाम प्रकार पेड़-पौधे मौजूद हैं. इस बाग में ऑर्गेनिक फार्मिंग की पूरी व्यवस्था है, जिससे यह बाग केमिकल पेस्टिसाइड तथा अन्य हानिकारक तत्वों के प्रयोग से रहित है.
एससी शुक्ला बताते हैं कि 'अभी मैं कनाडा गया था. वहां से मैं पांच तरह का एप्पल लाया. मैं जहां जाता हूं, वहां की वनस्पतियों को जैसे भी संभव हो लेकर आता हूं. अपने देश में ही संपदा भरी पड़ी है. कश्मीर का चिनार मेरी बाग में है. साउथ का रामफल भी मेरे यहां है. हमारी बाग में हर तरह के फल और मसाले मौजूद हैं. ड्राई फ्रूट की भी कई प्रजातियां हैं हमारे पास. अखरोट है, बादाम, चेरी, अंजीर, शरीफा आदि की तमाम प्रजातियां हमारे पास मौजूद हैं.'