लखनऊ:राज्य में जहरीली शराब की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. जनवरी 2021 में जहां बुलंदशहर में जहरीली शराब की घटना हुई तो वहीं अब अलीगढ़ में एक बड़ी घटना सामने आई है. अलीगढ़ में जहरीली शराब पीने (Aligarh Liquor Case) से अब तक 71 लोगों की जान चली गई है, लेकिन इन मौतों के जिम्मेदार पर सरकार सही तरीके से नकेल नहीं कस पा रही है. ऐसे मामलों में घटनास्थल वाले जनपद में कुछ जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई और आरोपियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी के बाद मामला ठंडा पड़ जाता है. इस जहरीली शराब को लेकर लोगों के जहन में कई तरह के सवाल भी उठना जायज है.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 4 दिन पहले जहरीली शराब की घटना हुई. सरकारी ठेकों से ग्रामीणों ने शराब खरीद के पी. इसके बाद उनकी हालत खराब हो गई और अब तक 71 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं, ऐसे समय में जहरीली शराब को लेकर लोगों में कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. आज ईटीवी भारत ने इस खास खबर में कुछ महत्वपूर्ण सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश की है. इन सवालों का जबाब श्यामा प्रसाद मुखर्जी के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर संतोष यादव ने दिया है और यह भी बताया है कि अगर भूल से ऐसी शराब का सेवन कर लिया है तो कैसे पीड़ित की जान बचाई जाए.
क्या होती है कच्ची शराब, कैसे बनाई जाती है?
डॉक्टर संतोष यादव ने बताया कि कच्ची शराब बनाने के लिए गुड़ और लहन को जमीन के अंदर 15-20 दिनों तक सड़ाया जाता है. फिर इसे निकालकर भट्टी पर चढ़ाया जाता है. इसके बाद आसवन विधि के द्वारा यह कच्ची शराब तैयार होती है. कई बार इसे और नशीला बनाने के लिए इसमें यूरिया और नौसादर भी मिलाया जाता है. इसके चलते यह ज्यादा जहरीली हो जाती है, क्योंकि इसमें मिथाइल अल्कोहल की मात्रा ज्यादा हो जाती है.
शराब और कच्ची शराब में फर्क
शराब का इस्तेमाल नशे के लिए होता है. आज भी ग्रामीण इलाकों में कच्ची शराब बनाने का काम जारी है. इस तरह की शराब के निर्माण पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है. इसके बाद भी इसका कारोबार तेजी से फल फूल रहा है. कच्ची शराब को अधिक नशीला बनाने के लिए उसमें यूरिया और नौसादर का इस्तेमाल होता है, जो हमारी सेहत के लिए जहर से कम नहीं होता. वरिष्ठ चिकित्सक संतोष यादव ने बताया कि अल्कोहल तीन तरह की होती है.
अल्कोहल के प्रकार
- इथाइल अल्कोहल
- मिथाइल अल्कोहल
- ग्लाइकोल
इथाइल अल्कोहल समान्यत: शराब में इस्तेमाल होती है, जबकि कच्ची शराब में अक्सर मिथाइल अल्कोहल का इस्तेमाल किया जाता है. यह काफी खतरनाक होती है. तीसरी तरह की अल्कोहल को ग्लाइकाल कहते हैं. यह इंडस्ट्रियल प्रयोग में लाई जाती है. कच्ची शराब में मेथेनॉल का प्रयोग होने पर यह जहरीली हो जाती है और जैसे ही इसका सेवन किया जाता है, तो यह शरीर में फार्मिक एसिड और फॉर्म एल्डिहाइड में टूट जाती है. इसका बड़ा दुष्प्रभाव होता है.
कच्ची शराब की कितनी मात्रा है जानलेवा