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एकेटीयू के प्रोफेसर ने इजाद की नई तकनीक, इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी बैकअप बेहतर करने का दावा - एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) इनोवेशन हब के हेड महीप सिंह ने नई तकनीक इजाद करने का दावा किया है.

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Published : Jun 30, 2023, 8:43 PM IST

लखनऊ :इलेक्ट्रिक वाहनों में लगने वाली बैटरी के बैकअप व पावर को बढ़ाने के लिए नई तकनीक की खोज लगातार हो रही है. इसी कड़ी में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) इनोवेशन हब के हेड महीप सिंह ने एक ऐसे तकनीक के इजाद करने का दावा किया है, जिससे इलेक्ट्रिक गाड़ियों में लगने वाली बैटरी का बैकअप न केवल बढ़ेगा, बल्कि इससे मिलने वाला पावर पेट्रोल व डीजल की गाड़ियों के बराबर होगा. इनोवेशन हब के हेड महीप सिंह का दावा है कि 'उन्होंने एक खास तरह की तकनीक इजाद की है, जिसे उन्होंने 'ऐक्सेलरेशन इन्हैंसर' का नाम दिया है.'


महीप सिंह ने बताया कि 'उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों में लगने वाली बैटरी के लाइट व बैकअप को बढ़ाने के लिए ऐक्सेलरेशन इन्हैंसर तकनीक बनाई है. उन्होंने बताया कि अभी तक इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों में बैटरी के जरिए सिर्फ एक मोटर ही पावर देती है, जिसके न केवल गाड़ी चलाते हुए पावर की कमी महसूस होती है, बल्कि जब जरूरत नहीं होती है तब भी मोटर चलती रहती है. इस प्रक्रिया के कारण गाड़ी में लगी बैटरी उतना बैकअप नहीं दे पाती है, जितना उसे देना चाहिए. महीप सिंह ने बताया कि इसी समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने एक की जगह तीन मोटर का इस्तेमाल किया है. उन्होंने बताया कि औसतन एक इलेक्ट्रॉनिक गाड़ी में लगे मोटर की क्षमता करीब तीन किलोवाट की होती है. उन्होंने अपने प्रयोग में करीब 1200 वाट की तीन मोटर का प्रयोग किया, साथ ही उसी बैटरी क्षमता पर इन तीनों मोटर को चलाकर देखा तो पाया कि तीन मोटर गाड़ी को ज्यादा शक्ति प्रदान कर रही है. तीन मोटर लगने से जो पावर पैदा हो रही है वह डीजल और पेट्रोल की गाड़ियों के बराबर है, जिससे न केवल गाड़ी को अच्छी स्पीड मिलेगी, बल्कि रोड पर भी इसकी पकड़ अच्छी होगी. उन्होंने बताया कि जब गाड़ी की स्पीड हाइवे पर स्थिर हो जाएगी तब जरूरत के मुताबिक, एक मोटर को छोड़कर बाकी बंद हो जाएंगे, जिससे बैटी का इस्तेमाल बेवजह नहीं होगा. आवश्यकता होने पर बाकी मोटर सेंसर की सहायता से चलने भी लगेंगे. महीप सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने इस तकलीक का पेटेंट भी करा लिया है. एमएसएमई योजना के तहत इस तकनीक को 10 लाख रुपये की ग्रांट भी मिली है.

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