लखनऊ : शिवपाल यादव द्वारा लगातार एक अलग मोर्चा बनाने के प्रयासों को देखते हुए अखिलेश यादव सतर्क हो गए हैं. पार्टी के कुछ बड़े नेताओं की नाराजगी से भी वह वाकिफ हैं. ऐसे में शिवपाल की काट के लिए अखिलेश यादव अभी से जुगत में लग गए हैं. दूसरी ओर वह इन प्रयासों में लगे हैं कि आजम खान और पार्टी से जुड़े मुस्लिम नेताओं की नाराजगी कम हो और वे पार्टी की मुख्यधारा में लौट आएं.
चुनाव बाद सपा विधायकों की बैठक में न बुलाए जाने के बाद पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ उनके चाचा शिवपाल यादव मुखर हो गए हैं. अब उन्होंने सपा के खिलाफ अलग मोर्चा बनाने के लिए पेशबंदी शुरू कर दी है. ऐसे में अखिलेश को खतरे का आभास होने लगा है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने शिवपाल ऐसी समस्या बन खड़े हुए हैं कि उन्हें न तो उगलते बन रहा है और न ही निगलते.
शिवपाल के चक्रव्यूह से निपटने के लिए फिर मुलायम को ढाल बनाएंगे अखिलेश यादव - Lucknow latest news
शिवपाल यादव द्वारा लगातार एक अलग मोर्चा बनाने के प्रयासों को देखते हुए अखिलेश यादव सतर्क हो गए हैं. इस चक्रव्यूह से बचने के लिए वह अपने पिता मुलायम सिंह यादव को ढाल बनाने की तैयारी में हैं. पेश है यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी की यह रिपोर्ट.
अखिलेश जानते हैं कि संगठन और रणनीति बनाने में शिवपाल का कोई तोड़ नहीं है. समाजवादी पार्टी खड़ी करने में शिवपाल यादव का अहम रोल रहा है. आज भी पार्टी के तमाम नेता शिवपाल के संपर्क में हैं. दूसरी ओर अखिलेश के कुछ करीबी नेता और उनके दूसरे चाचा रामगोपाल यादव यह नहीं चाहते कि शिवपाल सपा में ही रहें और अखिलेश से उनके संबंध सुधरें. ऐसे में स्वाभाविक है कि अखिलेश शिवपाल की काट के लिए कोई मजबूत उपाय खोजने में लगे हुए हैं. ऐसे में उन्हें अपने पिता मुलायम सिंह यादव ही आखिरी विकल्प के रूप में सामने दिखाई देते हैं, क्योंकि सब जानते हैं शिवपाल बड़े भाई मुलायम सिंह यादव की बात कभी नहीं टालते.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान की जेल से जल्द ही रिहाई हो सकती है. आजम के जेल से छूटने के बाद उनके रुख पर ही इन सारे समीकरणों का आधार है. अभी तक आजम ने समाजवादी पार्टी से नाराजगी जाहिर की है और हाल ही में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलने से भी मना कर दिया था, दूसरी ओर उन्होंने प्रसपा नेता शिवपाल सिंह यादव से जेल में घंटे भर तक मंत्रणा की. संकेत साफ है कि आजम उत्तर प्रदेश में नई राजनीतिक हलचल ला सकते हैं. वहीं इस हलचल को रोकने के लिए अखिलेश यादव मुलायम सिंह का भावनात्मक सहारा लेने का मन बना चुके हैं. शिवपाल ही नहीं, बल्कि आजम खान पर भी मुलायम का खासा प्रभाव है. ऐसे में कुछ लोग मानते हैं किया दोनों नेता मुलायम के सामने एक बार फिर झुक कर उनकी बात मान लेंगे.
दूसरी ओर शिवपाल सिंह यादव के करीबी सूत्र बताते हैं कि वह इस बार मुलायम सिंह की बातों में नहीं आएंगे. परिवार को एक करने और बड़े भाई की बात मानकर शिवपाल यादव पहले ही काफी राजनीतिक कीमत चुका चुके हैं. यदि शिवपाल ने दोबारा मुलायम की बातों में आने की गलती की तो उनका राजनीतिक करियर खत्म हो जाएगा. यही नहीं शिवपाल के साथ उनके बेटे आदित्य का भविष्य भी दांव पर है इसलिए शिवपाल अलग ही राजनीतिक चौसर बिछाने में लगे हैं. जो भी हो उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल तो आने वाली है ही. दिलचस्प यह होगा के इस शह मात के खेल में अखिलेश बाजी मारते हैं या शिवपाल सिंह यादव.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप