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भाजपा को 2022 में करारा सबक सिखाएंगे किसान: अखिलेश यादव - bjp government

अखिलेश यादव ने एक बार फिर बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि केन्द्र में संसद हो या प्रदेश में विधान परिषद दोनों जगह विपक्ष पर अपने बहुमत का रोडरोलर चलाकर वह लोकलाज से भी हाथ धो बैठी है.

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अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है

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Published : Sep 22, 2020, 8:12 PM IST

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किसानों के मुद्दे पर भाजपा को घेरते हुए एक बार फिर हमला बोला है. सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा की छल, प्रपंच और झूठ की रीति-नीति ने राजनीतिक शुचिता और लोकतंत्र पर गहरा आघात किया है. किसान और नौजवान उन्हें 2022 में करारा सबक सिखाएंगे.

मंगलवार को अपने जारी किए हुए बयान में अखिलेश ने कहा कि किसानों के हितों पर चोट करने और उनकी किस्मत कारपोरेट घरानों को सौंपने में उसे जरा भी हिचक नहीं होती है. केन्द्र में संसद हो या प्रदेश में विधान परिषद दोनों जगह विपक्ष पर अपने बहुमत का रोडरोलर चलाकर वह लोकलाज से भी हाथ धो बैठी है.

अखिलेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में विपक्ष का बहुमत है, लेकिन अभी पिछले दिनों इसकी बैठकें समाप्त होने से पूर्व कई बिल बिना बहस के विपक्ष की तमाम आपत्तियों को अनसुना करते हुए पास करा लिए गए. विधान परिषद के सभापति ने विपक्ष को संरक्षण नहीं दिया, सत्तापक्ष ही हावी रहा.

भाजपा की जबरदस्ती
अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला करते हुए कहा कि भाजपा का चेहरा और चरित्र एक ही है, इसका दूसरा परिचय केन्द्र में राज्यसभा की कार्यवाही में देखने को मिला. इसमें कृषि विधेयकों को भी विपक्ष की बातों को अनसुना कर पास करा लिया गया. वहां भी जोर जबरदस्ती साफ दिखाई दी. इन विधेयकों पर विपक्ष ने जो आपत्तियां कीं उनकी सुनवाई नहीं हुईं.

मजदूर हो जाएगा किसान
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कृषि बिल पर बोलते हुए कहा कि सच तो यह है कि लम्बे संघर्ष के बाद किसानों को आजादी मिली थी, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट खेती से देर-सबेर किसान फिर पुरानी हालत में लौट जाएगा. अपनी ही जमीन पर मजदूर हो जाएगा. कृषि उत्पादन मंडी समाप्त होने से किसान अपनी फसल औने-पौने दाम पर बेचने को विवश होगा. किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य जब अभी भी नहीं मिल पा रहा है, तो खुले बाजार में उसकी मोल-तोल की ताकत कहां होगी? बड़े आढ़तियों, बड़ी कम्पनियों के सामने किसान के लिए क्या विकल्प होगा?

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