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प्रदेश में टीकाकरण का बुरा हाल: अखिलेश यादव

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि 'रक्षा कवच' के रूप में प्रचारित टीकाकरण की रफ्तार भाजपा की संकीर्ण राजनीति के चलते धीमी हो चली है.

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Published : Jun 20, 2021, 8:33 PM IST

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोना से बचाव में 'रक्षा कवच' के रूप में प्रचारित टीकाकरण की रफ्तार भाजपा की संकीर्ण राजनीति के चलते धीमी हो चली है. प्रदेश भर में टीकाकरण में लापरवाही की शिकायतें हो रही हैं. भाजपा सरकार ने दीपावली तक सबको टीका देने का लक्ष्य घोषित किया, लेकिन लगता नहीं कि वह पूरा हो पाएगा. खुद भाजपा सरकार की रीति-नीति भी अस्पष्ट है, जिससे टीकारण विवादों में घिरता जा रहा है. लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ के हालात पैदा हो रहे हैं. भाजपा कोरोना वैक्सीन को लेकर प्रदेश में सिर्फ राजनीति कर रही है और जनता पिस रही है.

'टॉर्च की रोशनी में लग रहा टीका'

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि तमाम जनपदों में टीकाकरण केंद्रों का बुरा हाल है. राजधानी में सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन की कमी के चलते लोगों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है. रायबरेली में ग्रामीण क्षेत्रों में कागजों पर टीके लग रहे हैं. बदायूं के उझानी में 34 गांवों में टीकाकरण शुरू नहीं हो पाया. शामली में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में टीका लगाए जा रहे हैं.


'गरीबों के टीकाकरण की हो सुचारू व्यवस्था'

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी की शुरू से ही यह मांग रही है कि गरीबों को मुफ्त टीकाकरण की सुचारू व्यवस्था राज्य सरकार को करनी चाहिए. देहाती क्षेत्रों में टीकाकरण की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. सरकारी अस्पतालों में जनसुविधा के लिए ज्यादा काउंटर खोले जाने चाहिए. भाजपा को केवल साधन सुविधा सम्पन्न लोगों की जिंदगी का ही ख्याल रखना छोड़कर गांव-गरीब का भी ध्यान करना चाहिए.



'भोजन और विश्राम में समय बिता रहा संघ व भाजपा'

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि कोराना संकट काल में उत्तर प्रदेश सरकार की कुनीतियों से जनता बेहाल है. भाजपा और संघ भोजन और विश्राम में ही समय बिताते हैं. उन्हें जनसामान्य की परेशानियों की कतई चिंता नहीं है. किसान आंदोलित हैं, नौजवान बेकारी के शिकार हैं, विकास बेपटरी हो गया है. लाॅकडाउन समय में जब लाखों लोग पलायन और भूख-बेकारी से पीड़ित थे, उस समय भाजपा-आरएसएस राहत का नाटक करते रहे. भाजपा की पूरी कवायद सिर्फ सत्ता के अंकगणित फिट करने की रहती है. जनता की समस्याओं के समाधान में सरकार की कोई रुचि नहीं रह गई है.

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