लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने कहा है कि 'उत्तर प्रदेश में किसान भाजपा सरकार की कुनीतियों के चलते बुरी तरह परेशानियों से घिर गया है. महंगाई और कर्ज से त्रस्त कई किसानों ने आत्महत्या कर ली. मुख्यमंत्री जी, इसके बाद भी अपना छह साल का रिकार्ड छिपा रहे हैं. किसानों के जान की कोई कीमत नहीं रह गई है. किसानों को झूठे दावों और आश्वासनों के जरिए छला जा रहा है. किसान अन्नदाता होने के अलावा देश की अर्थव्यवस्था को भी गति देता है, लेकिन उसकी उपेक्षा हो रही है और अपमानित किया जा रहा है.'
Akhilesh Yadav ने कहा, भाजपा सरकार की कुनीतियों के चलते किसान परेशानियों से त्रस्त - समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि 'महंगाई और कर्ज से त्रस्त कई किसानों ने आत्महत्या कर ली. किसानों को झूठे दावों और आश्वासनों के जरिए छला जा रहा है.'
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जारी बयान में कहा कि 'किसानों से भाजपा ने वादा किया था कि सन् 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी. 2023 में भी इस दिशा में किसी सरकारी प्रयास का संकेत नहीं मिला है. हां, किसानों की आय दोगुना करने का झूठा ढिंढोरा जरूर पीटा जाने लगा है. गन्ना किसान को कोई पूछने वाला नहीं है. अभी भी गन्ना किसानों का 6 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है. गन्ना बकाये पर ब्याज का भी प्रावधान है, लेकिन यहां तो मूलधन के ही लाले पड़े हैं.' उन्होंने कहा कि 'भाजपा सरकार ने दस वर्ष बाद के ट्रैक्टरों पर पाबंदी लगाकर अपना किसान विरोधी चरित्र उजागर किया है. खेती किसानी के काम आने वाली हर वस्तु पर भाजपा सरकार ने टेढ़ी निगाहें कर रखी हैं. भाजपा नहीं चाहती है कि किसान सुखी हो, सम्पन्न हो. किसान को आलू की कीमत नहीं मिली. धान, गेहूं की सरकारी खरीद में धांधली की गई. किसानों की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नहीं खरीदी गई.' कहा कि 'किसानों को न तो समय पर खाद मिली न डीएपी.'
उन्होंने कहा कि 'कीटनाशक दवाइयां भी महंगी हैं और समय से मिलती नहीं. डीएपी और यूरिया के लिए किसान लाठियां खा रहे हैं. सत्ता संरक्षण में भ्रष्टाचार फल फूल रहा है. वैसे भी रोजमर्रा की चीजों की महंगाई से घरेलू अर्थव्यवस्था संकट में है. पेट्रोल-डीजल, गैस के दाम बढ़ने से परिवहन महंगा हुआ, जिसकी वजह से खाद्य पदार्थ के अलावा अन्य सभी उपयोगी सामान महंगा हो गया है. बिजली की दरें बढ़ गईं, रसोई गैस के दाम बढ़ गए. इससे आम जनता का बजट बिगड़ गया है. कर्मचारी हो या आम आदमी सभी सरकारी महंगाई और भ्रष्टाचार से बुरी तरह पीड़ित हैं. परेशान जनता का यह आक्रोश सन् 2024 के लोकसभा चुनाव में अवश्य रंग दिखाएगा.'
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