उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

व्यापारियों के हाथों में सत्ता दे रही भाजपा: अखिलेश - महर्षि दयानंद को श्रद्धांजलि

अखिलेश यादव ने कहा कि सन् 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों की सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी से सत्ता अपने हाथ में ले ली थी. वहीं इसके विपरीत भाजपा सरकार अपनी सत्ता व्यापारियों के हाथ में दे रही है. इसके अलावा उन्होंने एक सायराना ट्वीट भी किया है.

अखिलेश यादव
अखिलेश यादव

By

Published : Feb 12, 2021, 9:57 PM IST

लखनऊः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि सन् 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों की सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी से सत्ता अपने हाथ में ले ली थी और आज की भाजपा सरकार अपनी सत्ता व्यापारियों के हाथ में दे रही है. उन्होंने सवाल किया कि क्या यही भाजपा की ‘संकल्प से सिद्धि‘ की व्याख्या है, जहां काम किसी के हाथ में और लगाम किसी के हाथ में है.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार काले कृषि कानून लाकर किसानों को लूटने का प्रबन्ध कर चुकी है. भाजपा ने खरबपतियों को ही फायदा पहुंचाने वाले नियम बनाए हैं. भाजपा सरकार में कर्जमाफी के झूठे दावों और बैंकों की प्रताड़ना से किसान जान दे रहे हैं. भाजपा ने किसानों के आंदोलन के प्रति उपेक्षा भाव शुरू से ही अपना रखा है. किसानों की मांगे माने जाने का तनिक भी संकेत प्रधानमंत्री स्तर से आज तक नहीं मिला है.

अखिलेश का ट्वीट.

महर्षि दयानंद को दी श्रद्धांजलि
अखिलेश यादव ने आधुनिक भारत के महान चिंतक समाज सुधारक एवं आर्य समाज के संस्थापक महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती के अवसर पर नमन करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है. अखिलेश यादव ने कहा कि स्वामी दयानंद ने बाल विवाह, सती प्रथा जैसी कुरीतियों को दूर करने में अहम भूमिका निभाई थी. स्वामीजी ने ही सन् 1876 में स्वराज का नारा दिया था जिसे बाद में लोकमान्य तिलक द्वारा प्रचारित किया गया. सन् 1875 में बम्बई में स्वामी जी ने आर्य समाज की स्थापना की थी. उन्होंने अपने प्रवचनों के माध्यम से भारतवंशियों को राष्ट्रीयता का उपदेश दिया और भारतीयों को देश पर मर मिटने के लिए प्रेरित करते रहे.

अखिलेश का ट्वीट.

अखिलेश यादव ने किया शायराना ट्वीट
अखिलेश यादव ने शायराना ट्वीट करते हुए कहा कि न कोई राज्य खतरे में है, न हिंदुस्तान खतरे में है. जब भी रहे हैं तब रहे सुल्तान खतरे में. नहीं है धर्म खतरे में न ही मान खतरे में, न ही राम खतरे में और न ही रहमान खतरे में. हिंदू न ईसाई न मुसलमान खतरे में, सच पूछिए तो एक बस इंसान खतरे में. इंसानियत की पड़ गई पहचान खतरे में. इसकी वजह से धरती आसमान खतरे में.

ABOUT THE AUTHOR

...view details