लखनऊ:समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने बरेली से रामपुर होते हुए पीलीभीत का दौरा कर कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार कर दिया है, लेकिन इसका राजनीतिक फायदा उन्हें मिल पाएगा इसमें संदेह है. वहीं उनकी इस लड़ाई को भाजपा भ्रष्टाचार के संरक्षण का संघर्ष बताकर कमजोर करने में जुट गई है.
अखिलेश यादव थामे आंदोलन की कमान
सपा को विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक करारी हार का सामना करना पड़ा, वहीं पार्टी के अंदर भी कई सारे नेता यह सवाल करते देखे गए कि आखिर संघर्ष करने वाली पार्टी सड़क से दूर क्यों हैं. पार्टी के कई नेता यह चाहते थे कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कार्यकर्ताओं के साथ सड़क पर उतर कर आंदोलन की कमान थामे. इससे पार्टी को जनता के बीच पैठ बनाने में मदद मिलेगी, लेकिन पार्टी के अंदर एक दूसरा धड़ा था जो अखिलेश यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वाले आभामंडल का हवाला देकर उनके सड़क पर उतरने का विरोध करता रहा.
अखिलेश यादव के दौरे का राजनीतिक फायदा मिलता नहीं दिख रहा
इस वर्ग का मानना था कि अगर अखिलेश यादव के नेतृत्व में आंदोलन हो तो वह निर्णायक होना चाहिए. उसमें चूक या कमी होगी तो पार्टी के नए नेतृत्व पर गहरा दाग लगेगा. ऐसे में आजम खां के मुद्दे पर अखिलेश यादव ने जब शाहजहांपुर, बरेली, रामपुर पीलीभीत और सीतापुर में कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क स्थापित किया तो समर्थक वर्ग से मिले रिस्पांस ने सभी को चौंका दिया. लेकिन इससे पार्टी को बड़ा राजनीतिक फायदा मिलता नहीं दिखाई दे रहा है.