लखनऊः कहते हैं राजनीति में खून के रिश्ते भी सियासी नफा नुकसान की कसौटी से होकर गुजरते हैं. ऐसे में तमाम प्रकार की नाराजगी और गिले शिकवे समय और परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं. यूपी के सबसे बड़े सियासी घराने से आई खबर समर्थकों के लिए सुखद है. खबर है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर चाचा शिवपाल भतीजे अखिलेश पर नरम नजर आ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा का चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे चाचा और भतीजे के बीच बर्फ पिघलनी शुरू हो गई है. यही कारण है कि जहां 3 दिन पूर्व तक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने चाचा को एक सीट दिए जाने की बात करते थे वो अब विधानसभा चुनाव 2022 के लिए चाचा से गठबंधन की बात कह दी है. कल तक यही अखिलेश यादव चाचा शिवपाल से जुड़े सवालों पर चुप्पी साध लेते थे. सवालों से बचने के लिए बोलते भी बस इतना ही थे कि जसवंतनगर सीट शिवपाल यादव के लिए सपा खाली छोड़ देगी. लेकिन हालिया बयानों को देखें तो चाचा और भतीजे के बीच बर्फ पिघलनी शुरू हो गई है.
तेज हुई प्रदेश की सियासत
प्रदेश में राजनीतिक सियासत तेज हो गई है. 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए जहां भारतीय जनता पार्टी लखनऊ से लेकर दिल्ली तक लगातार बैठकर कर आगामी चुनाव की रणनीति बना रही है. वहीं समाजवादी पार्टी प्रदेश के सभी पदाधिकारियों को अपने अपने क्षेत्रों में सक्रियता बरतने के निर्देश दे रही है. भागीदारी मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक ओमप्रकाश राजभर लगातार उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे हैं और आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए लगातार रणनीति बना रहे हैं. समाजवादी पार्टी अपनी रणनीति बदल दी है, जिसके बाद दूसरे दलों के नेता धड़ल्ले से पार्टी में शामिल हो रहे हैं.
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कभी घर से सड़क पर आ गई थी परिवारिक लड़ाई
2017 के विधानसभा चुनाव से पूर्व चाचा-भतीजे की यह लड़ाई घर से लेकर सड़क पर आ गई थी. मुलायम कुनबे में विखराव हुआ तो इसका फायदा बीजेपी को मिला और बीजेपी ने प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुआई में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. सपा को चुनाव में बुरी हार का सामना करना पड़ा. 2019 आते-आते पार्टी अस्तित्व की लड़ाई लड़ने लगी. हालांकि एक बार फिर परिस्थितियां बदल रही हैं. अखिलेश यादव की अगुवाई में सपा नई रणनीति के साथ बीजेपी को घेरने में लगी है. ऐसे में पार्टी के बिछड़े और बिखरे लोगों को फिर साथ लेकर सपा 2022 के चुनावी समर में आने को तैयार है. इसी का नतीजा है कि अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ गठबंधन के संकेत दे दिए हैं. इससे उत्तर प्रदेश में नए सियासी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं.
अखिलेश पर मुलायम रहे चाचा शिवपाल बीते दिनों प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी के पदाधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. इस बैठक में शिवपाल सिंह यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव पर मुलायम रहे, जबकि पदाधिकारियों से प्रदेश की सत्ता उखाड़ फेंकने का आह्वान किया. इसके पहले भी शिवपाल यादव ने शर्तों के साथ समाजवादी पार्टी से गंठबंधन कर चुनाव मैदान में आने को लेकर कई बार बयान दे चुके हैं.
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भाजपा पर हमलावर हैं शिवपाल यादव
जहां एक तरफ शिवपाल सिंह यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव पर मुलायम दिखे, वहीं भाजपा पर करारा हमला भी कर रहे हैं. पार्टी के बैठक में उन्होंने कार्यकर्ताओं के बीच भाजपा के खिलाफ जोश भरा. शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने गांव गरीब किसान पिछड़े दलित व्यवसाई मध्यम वर्ग और युवाओं को सिर्फ छलने का काम किया. सत्ता में आने से पूर्व शिक्षा सुरक्षा सम्मान रोजगार और इलाज की जितनी भी बातें इस सरकार ने की थी सारे मामले पर फेल साबित हुई.
शिवपाल ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां चली गईं. कोरोना की दूसरी लहर में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल हो गई, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा पर यह सरकार सिर्फ पंचायत चुनाव और बंगाल के चुनाव में ही व्यस्त रहें. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश की जनता की समस्याओं के समाधान के प्रति सरकार कितनी गंभीर है. ऐसे में हम सभी को एक नए विकल्प की तलाश करने की जरूरत है.
बताते चलें कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव लगातार प्रदेश के जनपदों का दौरा कर पार्टी को मजबूत बनाने में लगे हुए हैं. ऐसे में जिस तरह से भतीजे अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन के संकेत दिए हैं, निश्चित रूप से इसका फायदा समाजवादी पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सकता है.