लखनऊ :बड़े दलों से गठबंधन का खामियाजा भुगत चुके सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव इस बार सावधानी के साथ बीजेपी के छोटे दलों से गठबंधन के फार्मूले पर काम कर रहे हैं. इस दिशा में उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वांचल तक के सभी छोटे दलों खासकर वह जो बीजेपी के विरोधी माने जाते हैं, से गठबंधन कर लिया है.
यही नहीं, उन्होंने अपने चाचा शिवपाल से भी गठबंधन कर इस बात के संकेत दे दिए कि वे इस बार के चुनाव में सत्ता पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. हालांकि उनका यह गठजोड़ जमीनी स्तर पर उन्हें कितनी कामयाबी दिला पाएगा, इसका विश्लेषण गठबंधन की पार्टियों के सियासी ताकत को आंककर ही किया जा सकता है.
बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Asssembly Election 2022) में जीत हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी तैयारियों को तेजी से आगे बढ़ा रही है. एक तरफ जहां अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) जनाक्रोश रथयात्रा (Rath Yatra) के जरिए प्रदेशभर में कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे हैं, तो वहीं छोटे दलों के वोट बैंकों को साधकर नई रणनीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं.
इन दलों में मुख्य रूप से ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी प्रभाव रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल, पूर्वांचल में अच्छा प्रभाव रखने वाले जनवादी पार्टी सोशलिस्ट, केशव देव मौर्य का महान दल शामिल है. इन दलों के साथ गठबंधन कर वह किसान, जाट, पाल, प्रजापति आदि जातियों का समर्थन हासिल कर सरकार बनाना चाहते हैं.
राजनीतिक विश्लेषक शरत प्रधान कहते हैं कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जिस प्रकार से अपनी रणनीति बना रहे हैं और छोटे दलों को साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं, उससे स्वाभाविक रूप से चुनावी लड़ाई दिलचस्प होगी. यह भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती भी साबित होगी.
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क्या है गठबंधन का सियासी गणित
प्रदेश में समाजवादी पार्टी के गठबंधन का सियासी गणित समझने के लिए हमें पहले गठबंधन के दलों की सियासी ताकत को जानना होगा. इसमें..
पश्चिम यूपी में आरएलडी का जनाधार
समाजवादी पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए चौधरी अजित सिंह की पार्टी आरएलडी के साथ भी गठबंधन कर रखा है. एक दौर में आरएलडी की पश्चिम यूपी की सियासत में तूती बोलती थी. 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे की वजह से जाट और मुस्लिम दोनों ही वोट बैंक बंट गए और इस दल से दूर चले गए. हालांकि चौधरी अजीत सिंह के निधन और किसान आंदोलन के चलते इस समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस दल की साख बढ़ी है. पार्टी भी पहले से ज्यादा बेहतर तरीके से सक्रिय है.
बता दें कि आरएलडी का कोर वोटबैंक जाट समुदाय माना जाता है. यूपी में जाट समुदाय की आबादी करीब 4 फीसदी बताई जाती है. पश्चिम यूपी में यह प्रतिशत 17 के आसपास है. जाट समुदाय सहारनपुर, मेरठ और अलीगढ़ मंडल जिले की करीब चार दर्जन विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका अदा करता है. इसके अलावा करीब 40 सीटों पर जाट बिरादरी का करीब चार फीसद वोट है जो सपा के खाते में जुड़ सकता है. रालोद का जाट समाज के बीच अच्छी पकड़ है.