लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हुए निकाय चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं. निकाय चुनावों में समाजवादी पार्टी को ग्रामीण क्षेत्रों में संजीवनी मिली है, लेकिन शहरी क्षेत्रों ने करारी चोट पहुंचाई है. सपा मुखिया अखिलेश यादव की बात की जाए तो उनके नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने लोकसभा, विधानसभा और निकाय चुनाव मिलाकर कुल छह चुनाव लड़े हैं. इनमें से अखिलेश की यह पांचवीं हार है. निकाय चुनाव की बात करें तो महापौर की सीट पर तो सपा की दावेदारी पूरी तरह फेल ही रही, वहीं नगर पालिका में भी समाजवादी पार्टी वह प्रदर्शन नहीं कर पाई जिसके पार्टी की तरफ से दावे किए जा रहे थे. हां नगर पंचायत में पार्टी ने जरूर अच्छा किया है जो पार्टी के लिए गर्दिश के दौर में भी सुकून देने वाला है. 2017 के निकाय चुनाव से 2023 में हुए चुनाव की तुलना की जाए तो समाजवादी पार्टी को फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ है.
उत्तर प्रदेश के 17 नगर निगम, 1420 नगर निगम वार्ड, 199 नगर पालिका परिषद, 5327 नगर पालिका परिषद वार्ड, 544 नगर पंचायत और 7177 नगर पंचायत वार्ड के पदों के लिए हुए चुनाव 11 मई को संपन्न हुए थे. 13 मई को चुनाव परिणाम आ गया. 2023 से पहले साल 2017 में उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव हुए थे. नगर निकाय चुनावों में 16 नगर निगम, 198 नगर पालिका और 438 नगर पंचायत पर चुनाव हुआ था.
लोकसभा, विधानसभा के बाद अब अखिलेश यादव को मिली निकाय चुनाव में पटखनी
लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव को निकाय चुनाव में भी झटका लगा है. चलिए जानते हैं इसके बारे में.
समाजवादी पार्टी को उम्मीद थी कि पार्टी 2012 के विधानसभा चुनाव की तरह 2017 के निकाय चुनाव में प्रदर्शन करेगी. उसके तमाम प्रत्याशी जीतने में सफल होंगे, लेकिन जब नतीजे आए तो समाजवादी पार्टी को जोरदार झटका लगा था. 2017 में नगर निगम के महापौर की 16 सीटों की बात की जाए तो समाजवादी पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. 14 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा किया था तो दो सीटें बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई थीं. अखिलेश यादव की पार्टी बुरी तरह नगर निगम का चुनाव हारी थी. कमोबेश छह साल बाद हुए चुनाव में भी महापौर की एक भी सीट सपा के खाते में नहीं आई. फिर से सपा जीरो ही रह गई, जबकि इस बार समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव राष्ट्रीय लोक दल के साथ मिलकर लड़ा था और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी जीत का दावा भी ठोंक रही थी लेकिन नतीजा उम्मीद के विपरीत ही रहा. सपा का खाता नहीं खुला.
चुनाव प्रचार से दूर रहे अखिलेश
समाजवादी पार्टी के पक्ष में परिणाम आते भी तो कैसे जब सपा मुखिया इन निकाय चुनावों में ताकत से मैदान में उतरे ही नहीं. कुछ ही जगह पर उन्होंने चुनाव प्रचार किया. प्रचार करने में भी काफी देरी की. लखनऊ ही की बात करें तो महापौर प्रत्याशी के लिए अखिलेश सिर्फ एक बार ही मेट्रो ट्रेन से यात्रा करते हुए रिवरफ्रंट पहुंचे थे. बाकी उनकी कोई सभा ही नहीं हुई, जबकि भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेताओं, मंत्रियों के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद ही चुनाव की कमान संभाल रखे थे. रोजाना ही तीन से चार जनसभाएं प्रत्याशियों के पक्ष में कर रहे थे. जब भाजपा के नेता प्रचार प्रसार में व्यस्त थे तो सपा मुखिया आराम फरमा रहे थे. जनता के बीच अखिलेश यादव अपनी बात ही पहुंचाने में सफल नहीं हुए जिसकी वजह से जनता ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को वोट देने में दिलचस्पी नहीं दिखाई.
प्रत्याशियों के चयन पर उठे सवाल
राजनीतिक जानकार सपा मुखिया अखिलेश यादव की एक बड़ी गलती यह भी मान रहे हैं कि प्रत्याशियों का चयन करने में गलती हुई जिसकी वजह से तमाम उम्मीदवार चुनाव हार गए. प्रत्याशियों के चयन को लेकर लगातार पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सवाल खड़े करते रहे. यहां तक बात सामने आई कि अखिलेश यादव ने टिकट वितरण में कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं दी. लखनऊ के महापौर प्रत्याशी के नाम पर जब अखिलेश ने मुहर लगाई तो इसका भी अंदरखाने पार्टी के नेताओं ने विरोध किया था. वंदना मिश्रा की जगह वह किसी पार्टी कार्यकर्ता को टिकट दिए जाने के पक्ष में थे, लेकिन अखिलेश ने वंदना मिश्रा को ही उम्मीदवार बना दिया. यही वजह रही कि समाजवादी पार्टी फाइट नहीं कर सकी. लखनऊ में ही तमाम कार्यकर्ता जो पार्षद का टिकट चाह रहे थे उन्हें टिकट नहीं मिला. इसकी वजह से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा.
चाचा भतीजे का नहीं चला जादू
इस बार निकाय चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव का भी साथ था, लेकिन यह जोड़ी भी कोई खास करिश्मा नहीं कर पाई. चाचा और भतीजे ने कई जगह प्रचार तो किया लेकिन जनता को लुभा नहीं पाए.
2023 के महापौर के नतीजे
भाजपा-17
समाजवादी पार्टी-0
बहुजन समाज पार्टी-0
कांग्रेस-0
अन्य-0
2023 के नगर पंचायत अध्यक्ष के परिणाम
भाजपा- 205
सपा- 126
बसपा- 47
कांग्रेस- 40
अन्य- 126
2023 नगर पालिका अध्यक्ष के नतीजे
भाजपा-105
सपा-26
बसपा- 16
कांग्रेस-07
अन्य- 45
2017 के नगर निगम के नतीजे
बीजेपी- 14
सपा- 0
बीएसपी-02
2017 के 198 नगरपालिका के परिणाम
बीजेपी- 67
सपा- 45
कांग्रेस- 09
बीएसपी- 28
सीपीएम- 01
निर्दलीय- 43
साल 2017 के नगर पंचायत के परिणाम
बीजेपी- 100
सपा- 83
कांग्रेस- 17
बीएसपी- 45
आप- दो
निर्दलीय-181
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