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गरीब की जिंदगी पर ही रासुका लगा दे सरकार: अखिलेश यादव

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव योगी सरकार पर लगातार हमलावर हैं. उन्होंने प्रवासी श्रमिकों की हो रही दुर्दशा पर तंज कसते हुए कहा कि अच्छा हो सरकार गरीब की जिंदगी पर ही रासुका लगा दे.

akhilesh yadav
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Published : May 18, 2020, 12:52 AM IST

लखनऊः प्रदेश की भाजपा सरकार पर लगातार सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार हमलावर हैं. उन्होंने रविवार को कहा कि भाजपा सरकार प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश की सीमा में न घुसने देगी, न रेल ट्रैक पर चलने देगी, न ट्रक-दुपहिया से जाने देगी, इस तरह का आदेश दे रही है. भाजपा की गरीब विरोधी नीतियां ही लोगों को ये सब काम करने को मजबूर कर रही हैं. अच्छा हो सरकार गरीब की जिंदगी पर ही रासुका लगा दे.

अखिलेश ने किए ये सवाल
अखिलेश यादव ने सवाल किया कि दतिया, झांसी, जालौन, कानपुर, गाजियाबाद, सहारनपुर की सीमाओं पर संघर्ष तबाही के शिकार श्रमिकों का कसूर क्या है? राज्य की सीमाओं पर क्या कोई विदेशी हमला होने वाला है? क्या अपने राज्य के कामगार विदेशी हैं? उन्नाव में सड़क जाम है. प्रशासन ने 10-10 किलोमीटर का जाम क्यों लगाया? इसका जवाब तो टीम-इलेवन को देना पड़ेगा.

सिर पर सामान और नदी पार करते श्रमिक
अखिलेश ने कहा कि सिर पर सामान और नदी को पार करते श्रमिकों का जत्था क्या यही उत्तर प्रदेश का परिचय है? ये सभी कितनी बेबसी के शिकार हैं. ऐसा तो बेगानों के साथ भी दुर्व्यवहार नहीं होता है. अगर सरकार का गरीब मजदूरों के प्रति ऐसा ही दुर्भावनापूर्ण और उपेक्षापूर्ण व्यवहार बना रहा तो किस पर विश्वास कर ये प्रवासी मजदूर काम पर वापस लौटेंगे? इस सरकार ने श्रमकानूनों का रक्षा कवच भी छीन लिया है.

पैदल घर वापसी करते प्रवासी श्रमिक.

श्रमिकों पर दोहरी मार
उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रशासन की पंगुता से जैसी अफरातफरी मची है उससे साबित होता है कि 'समाज में दूरी' पैदा करने वाली भाजपा का सारा ध्यान कोरोना नियंत्रण और गरीब को रोजी-रोटी की सुविधा देने पर नहीं अपनी चुनावी चालों पर है. सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा ने श्रमिकों-कामगारों और गरीबों को जितना अपमानित किया, वह दुखभरी दास्तान है. श्रमिकों पर दोहरी मार पड़ रही है. एक कोरोना और दूसरी भाजपा सरकार का आचरण.

1947 के बाद ऐसी स्थिति कभी नहीं
अखिलेश ने कहा कि देश का मजदूर और कामगार बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है. 1947 के बाद भारत में ऐसी स्थिति कभी नहीं आई, जिनसे न्याय की उम्मीद है वही सरकार अन्याय और असहनीय पीड़ा पहुंचा रही है. बे-सहारों पर लाठियां बरसाई जा रही हैं. यह घोर अमानवीय कृत्य है.

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