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छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र की वजह से 'टीपू' बने 'सुल्तान' - लखनऊ का समाचार

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के सुल्तान बनने की कहानी के पीछे छोटे लोहिया यानि जनेश्वर मिश्र का पूरा हाथ था. जनेश्वर मिश्र ने अगर मुलायम सिंह यादव से अखिलेश का पक्ष न लिया होता, तो वे टिकट ही नहीं पाते.

अखिलेश के राजनीतिक गुरु जनेश्वर मिश्र
अखिलेश के राजनीतिक गुरु जनेश्वर मिश्र

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Published : Aug 5, 2021, 3:52 PM IST

लखनऊः जनेश्वर मिश्र ने ही तत्कालीन एसपी सप्रीमो मुलायम सिंह यादव से कहकर कन्नौज से अखिलेश को टिकट दिलाया था. जिसकी वजह से अखिलेश ने राजनीति में पदार्पण किया था. इसीलिए एसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के सुल्तान बनने की कहानी के पीछे छोटे लोहिया यानि जनेश्वर मिश्र का हाथ माना जाता है. अगर उन्होंने मुलायम सिंह यादव से अखिलेश की पैरवी नहीं की होती तो उनको पार्टी से टिकट ही नहीं मिलता.

दरअसल 1999 में मुलायम सिंह यादव दो सीटों से लोकसभा चुनाव जीते थे. जिसमें एक सीट कन्नौज थी, जो उन्होंने बाद में छोड़ दी थी. इसके बाद इस सीट से समाजवादी पार्टी प्रत्याशी की तलाश में थी. मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि ये सीट किसी कीमत पर भी समाजवादी पार्टी की ही रहे. सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ कई उम्मीदवारों को लेकर विचार-विमर्श कर रहे थे. कई वरिष्ठ उम्मीदवारों के नाम पर मुलायम सिंह पार्टी के नेताओं से चर्चा भी कर चुके थे. लेकिन किसी नाम पर मुहर नहीं लग पाया. इसी दौरान जनेश्वर मिश्र ने मुलायम सिंह यादव से एक बैठक के सिलसिले में मुलाकात करने पहुंचे. इस दौरान जब मुलायम ने कन्नौज की सीट पर उम्मीदवारी को लेकर चर्चा की तो जनेश्वर मिश्र मुस्कराए. मुलायम ने छोटे लोहिया से उनकी मुस्कुराहट का राज पूछा तो सभी उम्मीदवारों को खारिज करते हुए उन्होंने मुलायम से कह दिया था कि 'टीपू को सुल्तान' बना दो. यानि अखिलेश यादव को टिकट दे दिया जाए. उनके कहने पर मुलायम सिंह चौंके तो जरूर. लेकिन उनकी बात का सम्मान रखते हुए अखिलेश को लोकसभा का टिकट कन्नौज से दे दिया गया.

जनेश्वर मिश्र की वजह से 'टीपू' बने 'सुल्तान'

राजनीति में जनेश्वर मिश्र की वजह से पदार्पण करने वाले अखिलेश जब कन्नौज से उपचुनाव जीते तो उन्होंने छोटे लोहिया का आशीर्वाद लिया और उन्हें अपना राजनीतिक गुरु माना. राजनीति का ककहरा अखिलेश ने जनेश्वर मिश्र से ही सीखा और राजनीति के क्षेत्र में कामयाबी हासिल की. उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए. अखिलेश अभी मानते हैं कि उनकी राजनीतिक एंट्री होती जरूर लेकिन उसमें देर लगती. लेकिन छोटे लोहिया की वजह से वो राजनीति में पहले ही प्रवेश हो गए.

जनेश्वर मिश्र की प्रतिमा

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वरिष्ठ पत्रकार अशोक मिश्रा कहते हैं कि जनेश्वर मिश्र दूरदृष्टा थे. उन्हें पहले से ही समझ आ गया था कि अखिलेश यादव में वो क्षमता है कि वो नेतृत्व कर सकते हैं. वे एक वाकया सुनाते हैं. कहते हैं कि एक बार जब कन्नौज सीट को लेकर मुलायम सिंह काफी मंथन कर रहे थे कि कन्नौज सीट से किसे चुनाव लड़ाया जाए, तो जनेश्वर मिश्र ने ही मुस्कुराते हुए कहा था कि टीपू को अब सुल्तान बना दो. यानि अखिलेश को टिकट दिया जाए, चुनाव वहीं जीतेंगे. हुआ भी वहीं जो जनेश्वर मिश्र ने कहा था. आज उत्तर प्रदेश की राजनीति में अखिलेश यादव बड़ा नाम है.

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