लखनऊः यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Election 2022)के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जहां प्रदेशभर में रथ यात्रा निकाल रहे हैं तो वहीं भाजपा को टक्कर देने के लिए वह एक खास फार्मूले पर भी काम कर रहे हैं. यह फार्मूला है छोटे दलों को जोड़ने का. अगर बीते दो माह पर नजर डाली जाए तो अखिलेश ने कई छोटे दलों को जोड़ने की कोशिश की है.
मुख्य रूप से ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, पश्चिम उत्तर प्रदेश में खासा प्रभाव रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल, पूर्वांचल में अच्छा प्रभाव रखने वाले जनवादी पार्टी सोशलिस्ट, महान दल व आम आदमी पार्टी के साथ भी सियासी गठबंधन को लेकर अखिलेश यादव कोशिश कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी व राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने पिछले दिनों अखिलेश यादव से मुलाकात भी की है. इसके अलावा किसान सेना, भारतीय समाज पार्टी, सहित कई अन्य छोटी पार्टियां भी शामिल हैं.
कई छोटे दलों के साथ मिलकर लड़ने की यह रणनीति कहीं बीजेपी पर भारी न पड़ जाए. पूर्वांचल से लेकर पश्चिम तक और बुंदेलखंड से लेकर अवध की चुनावी पिच पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बेहतरीन खिलाड़ी की तरह चुनावी खेल को सजाने का काम कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी की नीतियों को लेकर पिछले कुछ समय से जिस प्रकार से किसानों की नाराजगी देखने को मिल रही है तो इसका भी फायदा सपा को मिलने की संभावना जताई जा रही है.
खास बात यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार से कृषि कानूनों को वापस लेकर बैकफुट पर आने का काम किया है, उससे यह बात है भी स्पष्ट है कि भाजपा डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा महंगाई, बेरोजगारी कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों को लेकर भी जनता भाजपा से नाराज नजर है. इन मुद्दों को लेकर भी भाजपा को जनता की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
उधर, सपा छोटे दलों को साथ लेकर जिलों में खुद को मजबूत करने का काम कर रही है. जहां एक तरफ पूर्वांचल में सुहेलदेव समाज पार्टी को साथ रख रही है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के बीच लोकप्रिय और जाटलैंड में और अधिक प्रभाव रखने वाले राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन किया है. इस बारे में राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अखिलेश यादव जिस प्रकार से अपनी रणनीति बना रहे हैं और छोटे दलों को साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं तो ऐसे में स्वाभाविक रूप से यह भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है.