लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर आरोप लगाया है. उनका कहना है कि आपदा के समय भाजपा ने जिस तरह मजदूरों और उनके परिवारों को अपने भाग्य पर छोड़ दिया यह कृत्य मानवता विरोधी है. मजदूर अपने परिवार की महिलाओं और मासूम बच्चों के साथ जिस हालात से गुजर रहे हैं, वह सबूत है भाजपा सरकार के मानवता विरोधी रवैये का.
अखिलेश यादव ने भाजपा पर लगाए आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि ट्रकों में लाचार मजदूर ठसाठस भरे हैं. मुख्यमंत्री के निर्देश से पुलिस को अन्याय करने का, पीटने का परमिट मिल गया है. उन्होंने योगी सरकार से सवाल किया कि सरकार ट्रकों को बंद कर रही है तो सरकार ने 10 हजार से ज्यादा रोडवेज बसों से सुरिक्षत और सम्मानजनक तरीके से मजदूरों को गंतव्य स्थानों तक पहुंचाने में देरी क्यों की.
श्रमिकों को सड़क पर रोके रखना क्या मानवीय है
अखिलेश ने कहा कि झांसी में यूपी-एमपी सीमा पर 10 किलोमीटर जाम में मजदूरों के वाहन फंसे हैं. मजदूर बसों में बैठने को तैयार नहीं हैं. हजारों मजदूरों को सड़क पर रोके रखना क्या मानवीय है. झांसी में ही पति-पत्नी के पैदल पहुंचते ही गर्भवती पत्नी को बच्चा पैदा हुआ जो मर गया. उसी में पत्नी की भी मौत हो गई. बाद में सदमे के कारण पति की मौत हो गई. ऐसा ही एक दर्दनाक हादसा उन्नाव में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर हुआ. इसमें ऑटो से बिहार जा रहे परिवार की टक्कर लोडर से हो गई, जिसमें दंपति की मौत हो गई और उनका पांच वर्षीय बेटा अनाथ हो गया.
औरैया हादसे में मृतक के परिजनों को मिलना चाहिए 10 लाख रुपये
उन्होंने कहा कि पार्टी प्रत्येक मृतक के परिवार को एक लाख रुपये की मदद पहुंचाएगी. हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए भाजपा सरकार को मृतक आश्रितों को 10-10 लाख रुपये की आर्थिक मदद करनी चाहिए. अपनी रोजी-रोटी खोकर बेबसी और बदहाली में सिसकते गरीबों की जान भी भाजपा सरकार में सस्ती हो गई है. इनकी जान बचाने में भाजपा सरकार नाकाम है.
सरकारी बसों में मजदूरों से हो रही वसूली
योगी सरकार पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने कहा कि मुख्यमंत्री की अक्षमता के कारण अधिकारी मनमानी कर रहे हैं. सड़कों पर श्रमिकों की भीड़ है. सरकारी बसों में भी उनसे वसूली हो रही है. कानपुर के काकादेव थाना क्षेत्र में भूख से बिलबिलाते बच्चे को देखकर एक व्यक्ति ने फांसी लगा ली. राहत कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर नाम मात्र की कार्रवाई हो रही है.उन्होंने कहा कि इस बेरहम सरकार में पीड़ितों की सुनने वाला कोई नहीं है. विपक्ष के तौर पर समाजवादी पार्टी आवाज उठाती है तो मुख्यमंत्री का रवैया इतना नकारात्मक है कि वह इसे दरकिनार कर मनमानी पर उतारू हो गए है, उन्हें लोकतंत्र में सकारात्मक सुझाव सुनना भी पसंद नहीं है.