लखनऊ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष (President of Samajwadi Party) व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अभी तक लोकसभा और विधानसभा के उपचुनाव में प्रचार से पूरी तरह दूर रहते थे. सपा सूत्रों के अनुसार इस बार वह मैनपुरी उपचुनाव में सपा उम्मीदवार व अपनी पत्नी डिंपल यादव के लिए चुनाव प्रचार करेंगे. अखिलेश के इस फैसले पर पार्टी के अंदर ही सवाल खड़े हो रहे हैं. परिवार के सदस्य व आजमगढ़ से लोकसभा का उपचुनाव लड़ने वाले धर्मेंद्र यादव के लिए भी अखिलेश ने प्रचार किया था.
सोमवार को जब मैनपुरी में उपचुनाव (Mainpuri by-election) के लिए समाजवादी पार्टी उम्मीदवार डिंपल यादव नामांकन के लिए पहुंचीं तो अखिलेश यादव सहित सपा के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. अखिलेश यादव ने पत्नी को पिता की विरासत की सियासत को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें चुनाव जिताने के लिए तेजी से तैयारी में जुट गए हैं. इससे पहले जब मुलायम सिंह यादव 2019 का लोकसभा चुनाव मैनपुरी से लड़े तो स्थिति काफी बदली हुई थी. बसपा से गठबंधन के नाते मुलायम सिंह यादव की 90 हजार से जीत हुई थी. आपसी सहमति के कारण कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा था.
अब उपचुनाव में स्थिति पहले जैसी बिल्कुल नहीं है. बसपा का साथ नहीं है और जिस प्रकार से 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा का वोट अंदर खाने भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रदेशभर में ट्रांसफर हो गया तो भाजपा की ऐतिहासिक बहुमत से सरकार बन गई. अब जब उपचुनाव हो रहे हैं तो भाजपा इस सीट पर विरासत की सियासत को समाप्त करने के लिए जी जान से जुटी हुई है. भाजपा ने तय किया है कि इस बार मैनपुरी में भी कमल खिलाने का काम करेगी. इससे पहले भाजपा उपचुनाव में कन्नौज आजमगढ़, फिरोजाबाद रामपुर संसदीय क्षेत्र की सीटों पर कमल खिलाने का काम किया है.