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सपा में एमएलसी चुनाव को लेकर अखिलेश पर बढ़ा दबाव, कई नेता बने मुसीबत - MLC election news

एमएलसी चुनाव को लेकर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है. दबाव बनाने वालों में सहयोगी दलों के अलावा सपा के कई नेता शामिल हैं. ऐसे में ये नेता अखिलेश के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं हैं.

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सपा में एमएलसी चुनाव को लेकर अखिलेश पर बढ़ा दबाव, उच्च सदन आतुर कई नेता अखिलेश के लिए बने मुसीबत

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Published : Jun 1, 2022, 8:12 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी की तैयारियों में जुटे हैं, वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव पार्टी में नाराज नेताओं को मनाने में जुटे हैं. इसी क्रम में अखिलेश यादव बुधवार को पार्टी के सीनियर नेता आजम खान से मिलने के लिए दिल्ली के गंगाराम अस्पताल गए. वहां वह करीब तीन घंटे तक आजम खान के साथ रहे. इस दरमियान अखिलेश ने तमाम सियासी बातचीत आजम खान के साथ की. सपा नेताओं के अनुसार इस मुलाक़ात में सपा मुखिया ने विधान परिषद चुनावों को लेकर पार्टी नेताओं की आतुरता के बारे में आजम खान को बताया कि कैसे सहयोगी दल विधान परिषद में जाने के लिए उन पर दबाव बना रहे हैं. इसके साथ ही अखिलेश ने आजमगढ़ और रामपुर संसदीय सीटों पर होने वाले उपचुनाव में किसे चुनाव लड़ाया जाए? इस पर भी आजम खान से चर्चा की.

जानकारी के अनुसार अब इसी सप्ताह अखिलेश यादव आजमगढ़ और रामपुर संसदीय सीट से पार्टी चुनाव लड़ने वाले पार्टी प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर देंगे. माना जा रहा है कि अखिलेश यादव आजमगढ़ संसदीय सीट से अपनी पत्नी डिंपल यादव और रामपुर संसदीय सीट से सिदरा खान को चुनाव लड़ा सकते हैं. सिदरा खान आजम खान के बड़े बेटे आदीब खान की पत्नी हैं. इसके साथ ही वह विधान परिषद में सपा कोटे किन चार लोगों को भेजा जाएगा, इसका भी फैसला करेंगे. ये विधान परिषद के चुनाव भी अखिलेश यादव के लिए बेहद अहम हैं.

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की कुल 100 सीटें है, जिनमें से 13 विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल छह जुलाई को समाप्त होने वाला है जिसके चलते विधान परिषद की इन 13 सीटों पर 20 जून को चुनाव होना है. इसके लिए नामांकन 2 से 9 जून तक दाखिल किए जाएंगे. 10 जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 13 जून तक उम्मीदवार अपने नाम वापस ले सकेंगे. इस तय चुनावी कार्यक्रम के तहत सपा कोटे से विधान परिषद सदस्य बनने के लिए पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर इमरान मसूद और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के बेटे तक दावेदारी के लिए लाइन में हैं. वहीं, दूसरी तरफ अखिलेश यादव के करीबी सुनील साजन से लेकर संजय लाठर और उदयवीर जैसे और भी कई नेता भी विधान परिषद सदस्य बनने को आतुर हैं. राम गोविन्द चौधरी, राम आसरे विश्वकर्मा और नदीम फारुकी भी विधान परिषद जाने की मंशा रखते हैं. इस तरह विधान परिषद चुनाव में सपा की हालत एक अनार सौ बीमार वाली बनी हुई है. ऐसे में देखना है कि अखिलेश यादव विधान परिषद चुनाव में क्या राज्यसभा की तरह ही फॉर्मूला आजमाएंगे या फिर कोई नया सियासी दांव चलने वाले हैं?

वैसे सपा मुखिया अखिलेश यादव के पास नया सियासी दांव चलने की अवसर नहीं है, उन्हें ओम प्रकाश राजभर और स्वामी प्रसाद की जरूरत जयंत चौधरी की तरह ही है. गठबंधन राजनीति की मजबूती के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य और ओम प्रकाश राजभर की बात माननी ही चाहिए, आजम खान ने भी शायद यही सलाह उन्हें दी है. अब अखिलेश यादव को तय करना है कि विधान परिषद जाने को लेकर पार्टी नेता जो दबाव उन पर बना रहे हैं, उससे वह कैसे निपटते हैं.

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