लखनऊःउत्तर प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में न आने का भुगतान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को करना पड़ सकता है. जल्द ही उनकी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से छुट्टी हो सकती है. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी प्रदेश अध्यक्ष के परफॉर्मेंस से बिल्कुल भी खुश नहीं हैं. पार्टी के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि इसे लेकर प्रियंका ने मंथन करना शुरू कर दिया है और नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश भी शुरू हो गई है. इनमें सबसे पहला नाम ब्राह्मण चेहरे के रूप में प्रमोद तिवारी का सामने आ रहा है.
अध्यक्ष का दावा उपचुनाव में हुआ हवा
पिछले साल 11 अक्टूबर को तमकुहीराज से विधायक और सीएलपी लीडर रहे अजय कुमार लल्लू को पर कांग्रेस ने विश्वास जताते हुए उन्हें देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी थी. प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अजय कुमार लल्लू मैदान पर संघर्ष करने भी उतरे. सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के बाद जेल भी गए. जनता को अपनी तरफ जोड़ने का प्रयास भी किया. दावा यहां तक किया कि अब कांग्रेस बहुत मजबूत हो रही है और चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष का यह दावा यूपी की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में ही हवा हो गया. पार्टी सभी सीटों पर चुनाव हार गई. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सिर्फ दो सीटों पर ही अच्छा प्रदर्शन करने से ही काफी खुश हैं. कह रहे हैं कि हमने सपा को हरा दिया. वे इसी में अपनी जीत समझ रहे हैं. हालांकि उनकी ये खुशफहमी पार्टी आलाकमान को बिल्कुल रास नहीं आ रही है. पार्टी के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि प्रियंका गांधी प्रदेश अध्यक्ष की परफॉर्मेंस से खुश नहीं हैं. उन्होंने कुछ नेताओं के साथ बैठक कर इस पर मंथन भी किया. सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि बहुत जल्द अजय कुमार लल्लू कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जा सकते हैं.
कार्यकाल के बीच ही छिन सकती है कुर्सी
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के कार्यकाल को 11 नवंबर को 13 माह पूरे हुए हैं. पिछले साल अक्टूबर माह में ही उन्हें कार्यभार सौंपा गया था. इससे पहले वे कांग्रेस के नेता विधानमंडल दल थे. जब वे अध्यक्ष बने तो विधायक आराधना मिश्रा को नेता विधानमंडल दल बनाया गया. अब कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी कार्यकाल के बीच में ही छिन सकती है. कांग्रेस के संविधान में किसी भी प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल पांच साल का होता है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कभी भी कार्यकाल के बीच में ही प्रदेश अध्यक्ष को हटा सकते हैं. इसके अलावा सीडब्ल्यूसी की बैठक में भी कार्रवाई पर मुहर लग सकती है.