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पैगम्बर-ए-इस्लाम के कॉर्टून बनाना और उसको प्रकाशित करना अपमानजनक: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड - demanded a ban on the book immediately

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने जारी बयान में कहा कि आईसीएससी बोर्ड की सातवीं कक्षा की इतिहास से संबंधित पाठ्य पुस्तक में पैगम्बर-ए-इस्लाम और हजरत जिब्राइल पर कार्टून शामिल किया गया है, जो अपमान की श्रेणी में आता है. ऐसे में सरकार तत्काल इस पुस्तक पर रोक लगाने के साथ ही प्रकाशक के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
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Published : Dec 7, 2021, 7:03 AM IST

लखनऊ: देश में मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board)ने ICSE बोर्ड की सातवीं कक्षा की इतिहास की किताब में पैगंबर-ए-इस्लाम और हजरत जिब्राइल पर कार्टून शामिल किए जाने पर सख्त ऐतराज जताया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बयान जारी करते हुए सरकार से मांग की है कि तत्काल प्रभाव से पुस्तक पर प्रतिबंध लगाए जाए (demanded a ban on the book immediately)और दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से बयान जारी करते हुए कहा कि हर मुसलमान अपने नबी को अपनी जान अपने मां-बाप और अपनी संतान से भी ज्यादा प्यार करता है. वह नबी की शान में छोटी-सी भी निंदा सहन नहीं कर सकता है और पैगंबर-ए-इस्लाम की काल्पनिक छवि या कार्टून बनाना भी अपमान की श्रेणी में आता है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

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इसलिए सरकार को चाहिए कि तत्काल प्रभाव से उस पुस्तक पर प्रतिबंध लगाए. उसकी कृतियों को जब्त करें और लेखक व प्रकाशक के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करें. मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि पिछले दिनों कानपुर में आयोजित होने वाली बोर्ड की 27वीं बैठक में सरकार से मांग की गई थी कि वह धर्मों की आस्थाओं के प्रतीकों अथवा पवित्र व्यक्तित्वों के अपमान से संबंधित प्रभावी कानून बनाए और उसको कड़ाई के साथ लागू करे.

बोर्ड दुबारा अपनी मांग को दोहराना चाहता है और स्पष्ट करता है कि बोर्ड सभी धर्मों को आस्थाओं के प्रतीकों अथवा पवित्र व्यक्तित्वों के अपमान को जुर्म मानता है, क्योंकि इससे जनता के एक बड़े वर्ग में द्वेष उत्पन्न होता है.

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