लखनऊ : सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के खिलाफ मुस्लिम मौलानाओं को एकजुट करने में जुटे हुए हैं. इसी कड़ी में रविवार को ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के एक प्रतिनिधिमंडल ने भेंटकर समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लाने की भाजपा सरकार की कोशिशों का तीखा विरोध करते हुए उसे रद्द किए जाने की मांग का ज्ञापन अखिलेश यादव को सौंपा है.
UCC को लेकर अखिलेश यादव से मिला AIMPLB का प्रतिनिधि मंडल, सौंपा ज्ञापन
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के प्रतिनिधिमंडल ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की. इस दौरान मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली समेत तमाम लोग मौजूद रहे.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के प्रतिनिधिमंडल में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, मौलाना बिलाल हसनी नदवी, मौलाना नईमुर्रहमान, सऊद रईस एडवोकेट, मौलाना अतीक अहमद बस्तवी, मौलाना यासीन अली उस्मानी, प्रोफेसर मोहम्मद सुलेमान, अमीना रिजवान, मौलाना नजीब उल हसन एवं मौलाना अब्दुल लतीफ शामिल थे. इस अवसर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी भी मौजूद रहे. आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की ओर से दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि हमारा देश एक बहुसांस्कृतिक देश है. इसमें विभिन्न रंग, वंश, भाषाएं और सभ्यता से जुड़े और विभिन्न धर्मों और आस्थाओं से सम्बंध रखने वाले लोग एक साथ मिलजुलकर रहते हैं. इस तरह यह देश विविधता में एकता की एक बेहतरीन मिसाल है. देश के संविधान ने भी धार्मिक आजादी और सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षा दी है. देश के हर नागरिक को अपने धर्म के अनुसार आस्था रखने, प्रचलन अपनाने और उसका प्रचार करने का अधिकार दिया गया. इसी के तहत अल्पसंख्यकों और आदिवासियों के पर्सनल लॉज़ को विशेष सुरक्षा प्राप्त है और पारिवारिक मामलों में हर व्यक्ति को अपने धर्म के अनुसार चलने की अनुमति है.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का ज्ञापन स्वीकार करते हुए उन्हें अपने समर्थन का भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए धर्म और धार्मिक कार्य सिर्फ राजनीति का जरिया है. भाजपा आस्था और जनविश्वास के साथ खेलती है. समाजवादी पार्टी शुरू से ही लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के लिए प्रतिबद्ध है.