Agriculture News : यूपी को मिलेगा पराली की समस्या का समाधान, सरकार की इस योजना से समृद्ध होगा किसान - पराली की समस्या का समाधान
यूपी को पराली के समस्या से छुटकारा मिलने के साथ ही किसानों की आय में इजाफा भी होगा. इसके लिए कृषि मंत्रालय ने उपाय खोज निकाला है. यूपी के कृषि मंत्री डाॅ. सूर्य प्रताप शाही ने इस योजना के बाबत विस्तृत जानकारी साझा की है. देखें खबर
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लखनऊ : वातावरण में वायु प्रदूषण कम करने के लिए कृषि मंत्रालय ने उपाय खोज निकाला है. अब किसानों को अपनी पराली जलाने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि यही पराली किसानों के लिए सोना साबित होगी. उनकी आय का जरिया बनेगी. पराली से उत्तर प्रदेश सरकार कृषि अपशिष्ट आधारित बायो सीएनजी कंप्रेस्ड प्लांट लगा रही है. अभी गोरखपुर और बदायूं में यूनिट स्थापित की गई हैं. जिसमें पराली से ईंधन बनाने का काम शुरू होगा. गोरखपुर के दक्षिणांचल स्थित दरियापुर में कृषि अपशिष्ट आधारित बायो सीएनजी (सीबीजी) कंप्रेस्ड बायोगैस इकाई लगाई गई है. 60 हजार टन पर पराली की खपत सिर्फ गोरखपुर क्षेत्र से ही होगी. इससे कंप्रेस्ड बायोगैस और कार्बनिक खाद तैयार होगी. यह कहना है उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री डॉ. सूर्य प्रताप शाही का. इसके अलावा अब कृषि मंत्रालय अन्य जनपदों में भी यूनिट लगाने की योजना तैयार कर रहा है.
Agriculture News : यूपी को मिलेगा पराली की समस्या का समाधान.
उत्तर प्रदेश में धान की फसल अब पूरी तरह से तैयार है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान की कटाई भी शुरू हो गई है. अब किसानों के पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. कई स्थानों से सैटेलाइट से ऐसी तस्वीर भी कृषि निदेशालय को मिल रही हैं जिन पर अब निदेशालय कार्रवाई भी कर रहा है. किसान पराली न जलाएं इसके लिए कृषि निदेशालय की तरफ से जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है. अधिकारी बताते हैं कि किसान अब जागरूक हो रहे हैं. पराली को जलाने के बजाय अब बेचने में विश्वास करने लगे हैं. इसका नतीजा यह हो रहा है कि अब पराली किसानों के लिए आय का एक माध्यम बन गई है. प्रदेश के चार स्थानों पर पराली से बायो सीएनजी बनाने का काम शुरू किया जा रहा है.
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यहां प्लांट की हो रही स्थापना
इन कंपनियों ने लगाए प्लांट
गोरखपुर
बनारस
बाराबंकी
बरेली बदायूं
बनारस में अडानी
बाराबंकी में रिलायंस
गोरखपुर में आईओसीएल
बरेली बदायूं में एचपीसीएल
कृषि निदेशालय के ज्वाइंट डायरेक्टर एग्रीकल्चर एनर्जी जेपी चौधरी बताते हैं कि पश्चिमी और मध्य क्षेत्र में इस समय धान की फसल की कटाई चल रही है. लगभग 45 परसेंट फसल की कटाई हो चुकी है. इस समय किसान जो पराली का प्रबंध करते हैं उसके लिए कृषि विभाग जनपदों में जनजागरूकता अभियान चला रहा है. पश्चिम क्षेत्र में विशेषकर अधिकतर बासमती का क्षेत्र है और किसान हाथ से कटाई करता है उस पुआल को वह अपने पशुओं को खिलाते हैं. फसल अवशेष किसानों के लिए काफी लाभदायक हैं. वह अपने खेत में ही अगर इस फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाकर इसका प्रयोग करते हैं तो खेत के लिए जीवांश पदार्थ को बढ़ाएगा और उसके खेत की उर्वरा क्षमता को बढ़ाता है. अगर किसान इसको जलाने का प्रयास करेंगे तो यह उनके खेत की मिट्टी की भौतिक दशा को खराब करेगा. सूक्ष्म जीव नष्ट होंगे, पर्यावरण प्रदूषण होगा और किसान को नुकसान होगा. इस बात को किसान तक पहुंचाने का कृषि विभाग प्रयास कर रहा है. हमारे प्रदेश में बायोमास आधारित संयंत्र लगे हैं जो पराली को खरीद रहे हैं.
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आइओसीएल कंपनी ने गोरखपुर में प्लांट लगाया है जिसमें सीबीजी बनाई जाएगी और ऐसा ही एक प्लांट एचपीसीएल ने दातागंज बदायूं में लगाया है. कुछ प्राइवेट क्षेत्र की संस्थाएं भी आगे आई हैं. बाराबंकी में रिलायंस ने और वाराणसी में अडानी समूह ने प्लांट लगाया है. यह प्लांट किसान से सीधे पराली खरीद रहे हैं. किसान के खेत से इनके प्लांट तक पराली आसानी से आ जाए इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एफपीओ को जिम्मेदारी दी है. अब तक की जानकारी के अनुसार इन प्लांट के माध्यम से किसान को ₹3500 प्रति टन का लाभ मिल रहा है और एक खेत से औसतन तीन टन के लगभग पराली निकलती है तो अगर किसान अपने खेत की पराली प्लांट को देंगे तो उन्हें 10 हजार से 11 हजार रुपए तक एक हेक्टेयर से आय का अतिरिक्त साधन हो रहा है.