लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही (Agriculture Minister Surya Pratap Shahi) ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) को लिखे पत्र में गेहूं खरीद पर सवाल उठाये जाने पर घोर आपत्ति जाहिर की है. शाही ने कहा कि प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) जैसे नेता को इस तरह के तथ्यहीन और झूठा बयान देना शोभा नहीं देता.
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि एक जिम्मेदार नेता होने के नाते प्रियंका को ऐसा पत्र लिखने से पहले तथ्यों की जांच कर लेनी चाहिए थी और गेहूं खरीद के लिए सरकार के प्रयासों को देख समझ लेना चाहिए था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेत्री से योगी सरकार (Yogi Government) की तारीफ की अपेक्षा तो नहीं की जा सकती है, लेकिन कम से कम वह सरकार के प्रयासों का उल्लेख तो जरूर कर सकती थीं.
'36 हजार करोड़ कर्ज माफ कर दी राहत'
शाही ने कहा कि सदैव किसानों के हित में लगी योगी सरकार ने कार्यभार संभालते ही प्रदेश के 86 लाख से अधिक सीमांत किसानों को बड़ी राहत देने का काम किया था. सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर उनको बड़ी राहत दी थी.
इसे भी पढ़ें:प्रियंका ने लिखा सीएम योगी को पत्र, बताया क्यों परेशान हैं किसान
'लक्ष्य से अधिक हुई गेहूं की खरीद'
सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि कोरोना काल की विषम परिस्थितियों के बावजूद भी इस वर्ष गेहूं खरीद में रिकॉर्ड बना है. वर्तमान रबी सीजन में अब तक 12.84 लाख से ज्यादा किसानों से लगभग 56 लाख मीट्रिक टन से अधिक की गेहूं खरीद हो चुकी है, जबकि 90 फीसदी किसानों को भुगतान भी हो चुका है. शेष भुगतान यथाशीघ्र करा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार अब तक के कार्यकाल में गेहूं खरीद के 200 लाख मीट्रिक के लक्ष्य से अधिक 220 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद कर चुकी है, जो लक्ष्य का 110 प्रतिशत है.
इसे भी पढ़ें:UP में 53.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद, योगी सरकार ने बनाया रिकार्ड
'36 हजार करोड़ से अधिक का भुगतान'
कृषि मंत्री ने कहा, किसानों को अब तक सरकार 36 हजार 500 करोड़ से अधिक का भुगतान कर चुकी है. इससे 45 लाख से भी अधिक किसानों को लाभ मिला है. इसकी तुलना में अगर पिछली सरकार पर नजर डालें तो पता चलेगा कि 2012 से 2017 के बीच 222 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य था, लेकिन किसानों से 94.38 लाख मीट्रिक टन ही गेहूं खरीद की गई थी. यह लक्ष्य का मात्र 42 प्रतिशत था. इस दौरान किसानों को कुल 12 हजार 808.67 करोड़ रुपये का ही भुगतान हो सका था.
इसे भी पढ़ें:'जिनके ऊपर देश बचाने की जिम्मेदारी थी वे सिर्फ अपना चेहरा चमकाते रहे'