उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

धान की फसल के अच्छे संकेत फिर भी निगरानी करते रहें किसान- कृषि विशेषज्ञ

जिस तरह से मौसम में बदलाव होने के कारण रुक-रुक कर बारिश हो रही है. जिससे कीटों का प्रकोप बढ़ने का ज्यादा खतरा दिखाई दे रहा है. ऐसे में अब देखना यह है कि किसान धान की खेती में लगने वाले कीटो से कैसे बचाएगा और इसके लिए क्या-क्या उपाय जरूरी हैं. इसको लेकर कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने कुछ उपाय बताए. जिनको अपनाने से धान की फसल को बचाया जा सकता है.

By

Published : Sep 13, 2021, 7:48 PM IST

धान की फसल
धान की फसल

लखनऊ:किसानों ने जिस तरह समय रहते हुए धान की फसल की रोपाई का कार्य पूरा किया है. उससे किसान भाइयों को धान की अधिक पैदावार होने के संकेत दिख रहे हैं. हालांकि मौसम में बदलाव के कारण रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण धान की फसल में कीटों का खतरा बना हुआ है. जिसको लेकर किसान भी काफी चिंतित हैं. धान में लगने वाले कीटों से फसल को कैसे बचाया जाए और इसके लिए क्या उपाय जरूरी हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह से बातचीत की. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की कृषि प्रमुख रूप से तराई क्षेत्र हैं.जिसमें से प्रमुख जिलों सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी ,बहराइच ,श्रावस्ती, तथा अन्य जिलों सीतापुर, उन्नाव, कानपुर, रायबरेली ,अमेठी, सुल्तानपुर एवं लखनऊ में इस वर्ष धान की फसल बहुत अच्छी है और पैदावार होने की संभावनाएं दिख रही हैं.

कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस समय रुक-रुक कर बरसात हो रही है. वातावरण में नमी बनी हुई है. दिन में एक या दो घंटा धूप निकल आती है. जिससे धान पर प्रमुख रूप से गंधी कीट का प्रकोप बढ़ जाता है. यह कीट पुष्प अवस्था के पहले से पकने तक धान पर आक्रमण करता है. इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ दुग्ध अवस्था के समय अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. यह धान की निकल रही बालियों से दूध को चूस लेता है. जिससे धान में दाना बिल्कुल नहीं बनता, अधिक प्रकोप की अवस्था में 50 से 60% धान की फसल नष्ट हो जाती है. कीट द्वारा धान से रस चूस लेने से दोनों के ऊपर भूरे पीले रंग के चिन्ह बन जाते हैं. इस प्रकार के धान के दानों से चावल अधिक टूट जाता है.

कृषि विशेषज्ञ ने धान की फसल को बचाने के उपाय बताए.
कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह के मुताबिक, सितंबर के आखिरी सप्ताह से नवंबर के दूसरे सप्ताह तक धान में प्रमुख रूप से इस कीट का प्रकोप अधिक होता है. इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ दोनों नुकसान पहुंचाते हैं. शिशु हरे रंग के होते हैं तथा इनसे एक विशेष प्रकार की गंध निकलती है. गंधी कीट शिशु एवं प्रौढ़ 20 से 35 दिन तक धान की फसल से रस चूसते रहते हैं.

किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि इस समय में अपनी फसल की निगरानी करते रहें. यह कीट सुबह के समय खेतों में अधिक दिखाई पड़ते हैं. यदि धान की पांच बालियों के बीच एक गंधी कीट दिखाई दे तो तुरंत किसी एक कीटनाशक दवा का प्रयोग करना चाहिए. सुबह के समय मिथाईल पैराथियांन 2 डीपी अथवा 1.5% क्युनालफास का छिड़काव करना चाहिए. जिन स्थानों पर बालियां पहले निकल रही हों, वहां पर छिडकाव पहले करना चाहिए. खेतों में गंधी कीट की संख्या अधिक दिखाई देती है तो हर संभव किसी एक रसायन का छिड़काव उचित होता है. छिड़काव हेतु ऑक्सिडीमेटान मिथाईल 25 ईसी 1.0 एमएल को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर अथवा मिथाईल पैराथियांन 2 डीपी 25 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से धूल पाउडर का छिड़काव करना चाहिए. गंधी कीट के सफल प्रबंधन हेतु पुष्पा अवस्था के समय पहला छिड़काव तथा दूसरे को 1 सप्ताह बाद करना चाहिए. किसान भाइयों को कीटनाशक सदैव रजिस्टर्ड दुकान से ही खरीदना चाहिए. कीटनाशकों के छिड़काव के लिए पानी सही मात्रा में मिलाएं. कीटनाशकों का प्रयोग करते समय मुंह पर कपड़ा बांधकर रखे और छिड़काव के बाद अपने हाथ व पैरों को साबुन से साफ करना चाहिए तथा बाद में स्नान भी करना चाहिए.

इसे भी पढ़ें-धान की फसल में लग रहा बकानी रोग, बचाव के लिए किसान करें ये उपाय

ABOUT THE AUTHOR

...view details