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लखनऊ: आगरा मेट्रो रेल परियोजना को मिली शीर्ष अदालत की मंजूरी

उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की आगरा मेट्रो रेल परियोजना को शीर्ष अदालत से हरी झंडी मिल गई है. इस परियोजना से लगभग 20 लाख शहरवासी लाभान्वित होंगे.

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Published : Jul 25, 2020, 7:27 PM IST

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यूपी मेट्रो.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की आगरा मेट्रो रेल परियोजना को शीर्ष अदालत से हरी झंडी मिल गई है. मास रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम को ख़ासतौर पर उत्तर प्रदेश के तीसरे सबसे बड़े शहर आगरा की आबादी और जनसंख्या घनत्व को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है. इस परियोजना से लगभग 20 लाख शहरवासी लाभान्वित होंगे. उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन इससे पहले लखनऊ मेट्रो परियोजना को साढ़े चार साल से भी कम के रिकॉर्ड समय में पूरा कर चुका है.

केंद्र सरकार से यूपीएमआरसी को 28 फरवरी 2019 को आगरा मेट्रो परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) का अनुमोदन मिला था. इसके बाद 8 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानपुर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए आगरा मेट्रो रेल परियोजना का शिलान्यास किया था. यह सिर्फ़ आगरा मेट्रो रेल परियोजना के लिए ही नहीं, बल्कि लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के लिए भी एक महत्वपूर्ण था.

यूपीएमआरसी के एमडी कुमार केशव ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने आगरा मेट्रो परियोजना से जुड़े पर्यावरण प्रभावों पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) नियुक्त की है. कमेटी के चेयरमैन एवं अन्य सदस्यों ने 15/16 जनवरी को परियोजना का एक विस्तृत दौरा किया. सीईसी ने 10 फ़रवरी को उच्चतम न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी और यूपीएमआरसी को परियोजना के क्रियान्वयन के लिए तैयार रणनीति पर संतुष्टि जताई.

यूपीएमआरसी ने दाखिल याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आगरा मेट्रो रेल परियोजना पर सीईसी की रिपोर्ट का विश्लेषण किया. साथ ही भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार से अनुमोदित आगरा मेट्रो रेल परियोजना के क्रियान्वयन के लिए यूपीएमआरसी को स्वीकृति दे दी. उन्होंने बताया कि 8,37,962 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से तैयार होने वाली आगरा मेट्रो रेल परियोजना के अंतर्गत दो कॉरिडोर प्रस्तावित हैं. पहला कॉरिडोर सिकंदरा से ताज ईस्ट गेट तक है. दूसरा कॉरिडोर आगरा कैंट से कालिंदी विहार तक है. कॉरिडोर-1 के लिए 13 मेट्रो स्टेशन तय किए गए हैं. इसमें 6 उपरिगामी (एलिवेटेड) और 7 भूमिगत (अंडरग्राउंड) होंगे.

यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने कहा कि यूपीएमआरसी की टीम इस परियोजना को न्यूनतम संभावित समय में पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी. साथ ही सीईसी द्वारा की गईं सभी संस्तुतियों का परियोजना के क्रियान्वयन के दौरान पालन किया जाएगा. परियोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए यूपीएमआरसी ने पहले से ही तैयारियां की हैं, जो अब ज़मीनी स्तर पर भी दिखना शुरू होंगी. एमडी ने बताया कि परियोजना को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि शहर के सभी महत्वपूर्ण रिहाइशी और कमर्शियल इलाकों के साथ-साथ ऐतिहासिक स्थलों तक अच्छी और लास्ट-माइल कनेक्टिविटी मिल सके.

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