उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

मंडियों की बदहाली भी बन रहा विधानसभा चुनाव का बड़ा मुद्दा

देश में नए कृषि कानून के आने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद को सबसे बड़ी चपत लगी है. मंडियों को हर रोज 5 करोड़ का घाटा हो रहा है, जिसका असर सिर्फ मंडियों को मिलने वाली सुविधाओं पर ही नहीं पड़ा है, बल्कि मंडियों की बदहाली भी बढ़ गई है. मंडियों के बाहर लगने वाले मंडी शुल्क खत्म किए जाने के बाद मंडी के अंदर का व्यापार भी कम होता जा रहा है.

मंडियों की बदहाली
मंडियों की बदहाली

By

Published : Oct 15, 2021, 1:54 PM IST

लखनऊ:राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद की मंडियों की स्थिति राजधानी के गोमतीनगर स्थित किसान बाजार में भी देखी जा सकती है. सुदूर अंचलों चाहे गोंडा की मंडी हो फैजाबाद, सुलतानपुर, बहराइच सभी की हालत एक जैसी है. नियमित सफाई का कार्य भी लगभग ठप हो गया है. अब जबकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की दस्तक हो चुकी है. मंडियों की बदहाली भी चुनावी मुद्दा बनती जा रही है. किसान कहते हैं कि सारा खेल नए कृषि कानून को लेकर है.


मंडियों की बदहाली सिर्फ किसानों पर ही असर नहीं डाल रही है. अब कर्मचारी नेता भी इसको लेकर मुखर होने लगे हैं. कर्मचारी नेताओं का मानना है की ऐसी ही स्थिति रही, तो वेतन के लाले पड़ जाएंगे. जब सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है, तो मंडी परिषद इसे कैसे लागू कर सकता है. नए कृषि कानूनों के मुताबिक ही मंडी के बाहर होने वाले व्यापार पर कर समाप्त किया गया था. इसे अब शुरू कर देना चाहिए.

राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश कुमार वर्मा कहते हैं कि मंडी परिषद को हर रोज लगभग 5 करोड़ का घाटा हो रहा है. इस संदर्भ में उन्होंने मंडी परिषद के निदेशक के अलावा मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है. मंडी परिषद के निदेशक अंजनी कुमार सिंह स्वीकार करते हैं कि प्रकरण शासन में विचाराधीन है. शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है. जैसा निर्देश प्राप्त होगा वैसा निर्णय लिया जाएगा.

बताते हैं कि मंडियों की बदहाली बढ़ने के साथ ही व्यापार भी कम हुआ है. जिन व्यापारियों ने मंडी के अंदर दुकानें आवंटित करा रखी हैं, वह भी अब मंडी में स्थित दुकान पर ताला डालकर बाहर व्यापार कर रहे हैं. इससे सरकार को करोड़ों रुपये की चपत लग रही है.

राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद कि आय घटी तो इस बार मंडी को अपने सड़क कार्यक्रम में तब्दीली करनी पड़ी और नई सड़कों के निर्माण का कार्य बंद कर पुराने साल को के मरम्मत तक अपने कार्य को सीमित करना पड़ा. हालांकि मंडे निदेशक अंजनी कुमार इस बात से इनकार करते हैं कि मंडियों की सुविधाओं में कोई कमी की गई है, उनका कहना है कि मंडियों को अत्याधुनिक बनाने की प्रक्रिया चल रही है.

इसे भी पढ़ें-अयोध्या में शाम 6 बजे होगा रावण दहन, लखनऊ और वाराणसी में भी समय तय

ABOUT THE AUTHOR

...view details