हैदराबाद: उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को अभी वक्त है, लेकिन सभी सियासी पार्टियां अभी से ही चुनावी तैयारियों में जुट गई हैं. आलम यह है कि ओमीक्रोन के बढ़ते खतरे के बीच जनसभाओं और यात्राओं का कारवां अपने चरम पर है. मंचों से आरोप-प्रत्यारोप के साथ ही सियासी डिक्शनरी में रोजाना ऐसे-ऐसे शब्द जुड़ रहे हैं, जिसकी पहले कोई कल्पना ही नहीं थी. लेकिन यूपी की सियासत में हर चीज की संभावना बनी रहती है. खैर, आज हम राजा भैया पर मुलायम सिंह यादव की उस मेहरबानी का जिक्र करेंगे, जिसे जान आप भी राजा भैया और मुलायम सिंह यादव के बीच की कैमिस्ट्री को समझ जाएंगे, लेकिन पिता से राजा भैया के बेहतर संबंध के बावजूद बेटे अखिलेश यादव को कभी राजा भैया रास नहीं आए. यही कारण है कि जब इस बीच सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से राजा भैया के बाबत सवाल किया गया तो वो भड़क गए और फिर यह कह सबको चौका दिया कि कौन राजा भैया.
खैर, हम सियासी किस्से की ओर रूख करते हैं. कहा जाता है कि साल 2003 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के आधे घंटे के भीतर ही मुलायम सिंह ने राजा भैया पर से पोटा के तहत सभी मुकदमे खारिज करने का आदेश दिया था. बाद में मुलायम सिंह की सरकार में राजा भैया को खाद्य मंत्री भी बनाया गया था.
दरअसल, राजा भैया को मायावती ने 10 महीने तक पोटा के तहत जेल में बंद रखा था. बात 2002 की है. देश के सबसे बड़े राज्य यूपी का बंटवारा हो चुका था. उत्तराखंड अलग राज्य बन चुका था और यूपी के हिस्से में मात्र 403 विधानसभा सीटें रह गई थीं. जब राज्य में 14वीं विधानसभा के लिए चुनाव हुए तो परिणाम त्रिशंकु आए और राज्य में 8 मार्च से 3 मई तक राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा.
हालांकि, इन चुनावों में 143 सीटें जीतकर समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. लेकिन सरकार बनी 98 सीट जीतने वाली बहुजन समाज पार्टी की. मायावती 3 मई, 2002 को तीसरी बार भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बनी थीं. तत्कालीन यूपी भाजपा अध्यक्ष कलराज मिश्र इस्तीफा देकर मायावती मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बने थे. उनके साथ भाजपा के लालजी टंडन, ओमप्रकाश सिंह और हुकुम सिंह भी कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे. तब विनय कटियार को यूपी का भाजपा अध्यक्ष बनाया गया था.
इस सरकार का बचाव करते हुए तब विनय कटियार ने कहा था कि हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश है. मायावती के साथ पहले भी दो सरकारों में भाजपा असहज रही थी. इस बार भी गाड़ी पटरी पर हिचकोले ले रही थी, तभी मायावती ने भाजपा विधायक पूरण सिंह बुंदेला की शिकायत पर 2 नवंबर, 2002 को तड़के सुबह करीब चार बजे प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को आतंकवाद निरोधक अधिनियम पोटा के तहत गिरफ्तार करवाकर जेल में डलवा दिया.
राजा भैया के साथ उनके पिता उदय प्रताप सिंह और चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को भी अपहरण और धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था. असल में राजा भैया उन 20 विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने तत्कालीन गवर्नर विष्णुकांत शास्त्री से मायावती सरकार को बर्खास्त करने की मांग की थी. राजा भैया की गिरफ्तार होने के बाद मायावती और भाजपा में टकराव बढ़ गई.
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