लखनऊः बीएसपी छोड़ बीजेपी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य मंत्री बने. अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. उन्होंने सरकार में पिछड़ों की अनदेखी का तर्क देकर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. इसके बाद वे खुद को नेवला और बीजेपी को सांप बताने लगे. लेकिन उनका ये अति आत्मविश्वास उन्हें ले डूबा.
नतीजा ये हुआ कि फाजिल नगर सीट से वे बड़े अंतर से हार गये. चुनाव से पहले बीजेपी को जड़ से उखाड़ फेंकने के बयान देने वाले स्वामी के तेवर अब हल्के पड़ते दिख रहे हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि वे जिन्हें जगाने निकले थे, उन्हें जगा नहीं पाये.
सवालःसमाजवादी पार्टी फिलहाल सत्ता में नहीं आ रही. अब आगे क्या रणनीति होगी पार्टी की और हार की वजह क्या रही?
जवाबः जनता के जनादेश का सम्मान करता हूं. इसके साथ ही प्रदेश के मतदाताओं को धन्यवाद करता हूं. रही बात जीत और हार की तो ये दोनों लोकतंत्र के दो पहलू हैं, जो जीता है, वही हारता है और जो हारता है वही जीतता है. हम जीत को भी स्वीकार करते हैं और हार को भी स्वीकार करेंगे. जिन मुद्दों को लेकर मैंने बीजेपी छोड़ी थी, वो आज भी जिंदा हैं, उन्हें जनता तक पहुंचाया जाएगा.
सवालःक्या भाजपा छोड़ने का पछतावा है, क्यों कि यदि भाजपा में होते तो शायद विधायक भी होते और मंत्री पद भी होता?