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पीपीपी मॉडल पर बनने थे 21 बस अड्डे, बना एक भी नहीं

साल 2018 में पीपीपी मॉडल पर आलमबाग बस स्टेशन बनकर तैयार हुआ था. आलमबाग बस अड्डा अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. इसी की तर्ज पर यानी पीपीपी मॉडल पर उत्तर प्रदेश में 21 बस अड्डे बनने थे, लेकिन एक भी नहीं बना.

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Jul 10, 2021, 6:12 PM IST

लखनऊ: पीपीपी मॉडल पर जब प्रदेश का पहला बस स्टेशन आलमबाग बनकर तैयार हुआ, तो इसकी चर्चा देशभर में हुई. बस स्टेशन के उद्घाटन के बाद प्रदेश में इसी तर्ज पर अन्य बस स्टेशनों के निर्माण का फैसला लिया गया. आलमबाग बस अड्डे के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीपीपी मॉडल पर 21 बस स्टेशनों का निर्माण इसी तर्ज पर किए जाने की घोषणा कर दी. विभागीय अधिकारियों ने दो अन्य बस स्टेशनों को इस लिस्ट में शामिल किया और कंपनी की खोज की कवायद शुरू हुई. इसके लिए रोडवेज के अधिकारियों ने कई कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और अपना प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया. इतना ही नहीं बस स्टेशनों में कंपनियों को लाभ दिखाने के लिए राजधानी के होटल में इंवेस्टरों को बुलाया गया. अब सरकार के पांच साल पूरे होने को हैं और पीपीपी मॉडल पर एक भी नया बस स्टेशन नहीं बन पाया.

रोडवेज अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में बस स्टेशनों के निर्माण के अध्ययन के लिए रोडवेज अफसरों की टीम गुजरात गई. गुजरात में अध्ययन के बाद लखनऊ के आलमबाग में पीपीपी मॉडल पर पहला बस स्टेशन तैयार हुआ. इस बस स्टेशन में मौजूद अत्याधुनिक सुविधाएं और हाइटेक सिस्टम की चर्चा देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक हुई. साल 2018 में आलमबाग बस स्टेशन का अनावरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया. परिवहन निगम के अधिकारी इस बस स्टेशन के उद्घाटन के बाद अन्य बस स्टेशनों के निर्माण के लिए कंपनियों की तलाश में लग गए. नियम और शर्तें तैयार हुईं. अधिकारियों ने कई कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग की. बावजूद इसके अधिकारियों के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला. पीपीपी मॉडल का यह सौदा कंपनियों को घाटे का सौदा लगा. नतीजतन, तीन साल बाद भी कोई बड़ी कंपनी इस प्रोजेक्ट में अपनी रुचि नहीं दिखा रही है.

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विभूतिखंड (लखनऊ), चारबाग-लखनऊ, अमौसी-लखनऊ, वाराणसी कैंट, सिविल लाइंस-प्रयागराज, जीरो रोड-प्रयागराज, कानपुर सेंट्रल (झकरकट्टी), कौशाम्बी (गाजियाबाद), साहिबाबाद, बरेली (सेटेलाइट), ट्रांसपोर्टनगर- आगरा, ईदगाह-आगरा, रसूलाबाद-अलीगढ़, मथुरा, बुलंदशहर, गाजियाबाद, रायबरेली, अयोध्या, गोरखपुर, मिर्जापुर और गढ़ मुक्तेश्वर बस स्टेशनों का पीपीपी मॉडल पर निर्माण होना था.

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आलमबाग बस स्टेशन पर यात्रियों को ठंडी हवा के लिए एयर कंडीशन, मॉडल टॉयलेट, खाने पीने के लिए बेहतरीन कैंटीन की व्यवस्था है. यात्रियों के सामान की जांच के लिए स्कैनर लगा है. मसाज के लिए मशीनें भी लगी हुई हैं. खरीदारी के लिए कई उत्पादों की दुकानें हैं. इसके अलावा सस्ती दर पर यात्रियों को सस्ती दर पर ठहरने के लिए कमरों का निर्माण हो रहा है. साथ ही यहीं पर मल्टीप्लेक्स भी बनाया जा रहा है.


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लखनऊ के जानकीपुरम में एक बस स्टेशन बनाया जाना प्रस्तावित है. इसके लिए परिवहन निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक राजशेखर ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसरों से मिलकर जमीन की कीमत तय की. इतना ही नहीं 125 करोड़ की कीमत निर्धारित हो जाने के बाद 15 सालाना किश्तों में इसका भुगतान किया जाना भी तय हो गया. किश्तें भी फिक्स कर दी गईं, लेकिन एमडी राजशेखर का ट्रांसफर होते ही इस बस स्टेशनों का निर्माण कार्य प्रभावित हो गया. परिवहन निगम के वर्तमान प्रबंध निदेशक धीरज साहू के मुताबिक बस स्टेशन की जो कीमत चुकानी है, उसमें इंटरेस्ट रेट काफी ज्यादा है. एलडीए को इसे कम करने के लिए पत्र लिखा है. रोडवेज के अफसर बताते हैं कि करीब 11 प्रतिशत रेट ऑफ इंटरेस्ट है.


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पीपीपी मॉडल पर निर्मित होने वाले प्रस्तावित बस स्टेशनों को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं. जनवरी माह में इन्वेस्टर्स के साथ वेबिनार भी आयोजित की गई थी. अब शासन इस पर विचार कर रहा है, जैसे ही वहां से कोई फैसला होता है बस स्टेशनों का निर्माण कार्य जरूर शुरू कराया जाएगा.

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