लखनऊः उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण में चुनाव लड़ने वाले 623 में से 615 उम्मीदवारों के शपथ पत्रों का विश्लेषण करते हुए आज एक रिपोर्ट जारी की. जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले चरण के 58 निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ उम्मीदवारों द्वारा घोषित आपराधिक मामले 615 में से 156 (25%) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं. इनमें से 20% उम्मीदवारों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए है. अपराधिक मामले घोषित करने वाले उम्मीदवारों का दलवार विवरण समाजवादी पार्टी के 28 में से 21 (75%), आरएलडी के 29 में से 17 ( 59%), बीजेपी के 57 में से 29 (51%), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 58 में से 21 (36%) बीएसपी के 56 में से 19 (34%), आप (APP) के 52 में से 8 (15%) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर अपराधिक मामले घोषित किए हैं. इस रिपोर्ट से यह तो स्पष्ट हो गया कि अपराधियों को टिकट न देने के दलों के दावे फिर से खोखले साबित हुए हैं. साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.
एडीआर उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच के राज्य संयोजक संतोष श्रीवास्तव ने कहा कि उम्मीदवारों द्वारा घोषित गंभीर आपराधिक मामलों में समाजवादी पार्टी के 61%, आरएलडी के 52%, बीजेपी के 39%, कांग्रेस के 19%, बीएसपी के 29% और आप के 10% उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं के ऊपर अत्याचार से संबंधित मामले घोषित करने वाले उम्मीदवार 12 हैं. इन्होंने महिलाओं के ऊपर अत्याचार से संबंधित मामले घोषित किए हैं. इनमें से एक उम्मीदवार ने अपने ऊपर बलात्कार से संबंधित मामला घोषित किया है. हत्या से संबंधित मामले घोषित करने वाले उम्मीदवारों की संख्या 6 है. इन्होंने अपने ऊपर ipc की धारा 302 से संबंधित मामले घोषित किए हैं. हत्या के प्रयास से संबंधित मामले घोषित करने वाले उम्मीदवार 30 हैं, जिन्होंने अपने ऊपर ipc 307 से संबंधित मामले घोषित किए हैं.
उन्होंने आगे बताया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण में 58 में से 31 (53%) संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां 3 या उससे अधिक उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए गए हैं. संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र से तात्पर्य ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों से है जहां 3 या उससे अधिक उम्मीदवार जिन्होंने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
जारी रिपोर्ट में एडीआर उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच के राज्य संयोजक संतोष श्रीवास्तव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि उन्होंने फिर से आपराधिक मामले वाले 25% उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया है.
उत्तर प्रदेश के पहले चरण के चुनाव लड़ने वाले सभी प्रमुख दलों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित करने वाले 15%- 75% उम्मीदवारों को टिकट दिए .हैं सर्वोच्च न्यायालय ने 13 फरवरी 2020 के अपने निर्देश मैं विशेष रूप से राजनीतिक दलों को आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को चुनने वा साफ छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने का कारण बताने का निर्देश दिया था.
हाल ही में 2020-21 में हुए 6 राज्यों के विधानसभा के चुनाव के दौरान यह देखा गया है कि राजनीतिक दलों द्वारा दिए गए ऐसे निराधार और आधारहीन कारण जैसे व्यक्ति की लोकप्रियता अच्छे सामाजिक कार्य राजनीति से प्रेरित मामले आदि यह दागी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने के लिए ठोस कारण नहीं है. उन्होंने कहा कि यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि राजनीतिक दलों को चुनाव प्रणाली में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और हमारे लोकतंत्र में कानून तोड़ने वाले उम्मीदवार जीतने के बाद कानून बनाने वाले विधायक बन जाते हैं.