लखनऊ:राजधानी स्थित बंथरा में कुछ दिन पहले जहरीली शराब पीने से 3 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश ने मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. भले ही घटना के बाद जिम्मेदार अधिकारी सक्रिय नजर आ रहे हैं और प्रभावी कार्रवाई भी की जा रही है. हांलाकि, यह सवाल बरकरार है कि जब शराब पीने से लोगों की मौत हो रही है तो फिर जहरीली शराब की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. बता दें कि पिछले 5 वर्षों में उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब पीने से 223 लोगों की मौत हो चुकी है.
साल 2020 हुई 5 लोगों की मौत
विभागीय आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो वर्ष 2020 में अब तक जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत हो चुकी है. साल 2015 में राजधानी लखनऊ में अवैध शराब के सेवन से 35 लोगों की मौत हुई थी और हर साल यह आकंड़ा बढ़ता ही जा रहा है. बीते 5 वर्षों में 223 लोग जहरीली शराब का शिकार हो चुके हैं. इसके बावजूद राजधानी लखनऊ सहित पूरे उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर अवैध शराब का कारोबार चल रहा है.
लखनऊ और आसपास के जिलों में बनती है अवैध शराब
अवैध शराब के निर्माण की रोकथाम के लिए जहां आबकारी विभाग मौजूद है तो वहीं क्षेत्र में अगर शराब बन रही है तो इसको लेकर पुलिस विभाग भी कार्रवाई कर सकता है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की कमजोर इच्छाशक्ति के चलते यह कारोबार फल-फूल रहा है.
प्रधान एसोसिएशन की अध्यक्ष प्रधान स्वेता सिंह ने बताया कि राजधानी लखनऊ व आसपास के इलाके में अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है. इसकी जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों को भी है. इसके बावजूद भी अवैध शराब के निर्माण पर लगाम नहीं लग पा रही है. कारण साफ है कि जिम्मेदार अवैध शराब पर लगाम लगाना ही नहीं चाहते हैं. राजनीति में शराब का रोल रहता है. क्षेत्र चुनाव जैसे की प्रधानी, जिला पंचायती, बीडीसी, ब्लाक प्रमुख, पंचायती के चुनाव में यह माना जाता है कि शराब लोगों को वोट दिलाने का काम करती है.