लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) अब करीब आ रहा है. यूपी पुलिस के सामने चुनाव को शान्तिपूर्ण निपटाने की चुनौती है. वहीं, यूपी आतंकियों का गढ़ बनता जा रहा है. यूपी एटीएस (UP ATS) ने यूपी से हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा, अलकायदा, आईएसआईएस (ISIS) मॉड्यूल के तमाम आतंकवादी गिरफ्तार किए गए हैं. उनके पास से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री भी बरामद कि गया है. इस बात से साफ है, यूपी में आतंकवादी संगठन गहरी पैठ जमा चुके हैं, और खुफिया एजेंसियां इन पर नजर रखने के बजाय सो रही हैं.
खुफिया एजेंसियों की मानें तो राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से भी लखनऊ बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. यही वजह है कि देश-विदेश के आतंकी संगठनों ने लखनऊ को अपना ठिकाना बना लिया है. राजधानी में आतंकियों को पनाह मिलने के अलावा यहां से प्रदेश के अन्य जिलों और देश के अन्य राज्यों में नेटवर्क बनाने में खासी मदद मिलती है. बीते 11 जुलाई को लखनऊ के काकोरी से अलकायदा के आतंकी मिनहाज अहमद और उसके साथी मसीरुद्दीन की गिरफ्तारी ने, देशभर की सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं. एटीएस ने खुलासा किया गया था कि अलकायदा आतंकी संगठन के लिये ये दोनों काम कर रहे थे, और यूपी में धार्मिक स्थलों समेत कई जगह विस्फोट करने की साजिश रचे हुए थे. इसके बाद ही एटीएस ने तीन मददगारों मुईद, मुस्तकीम और शकील को भी पकड़ा था.
हाल ही में एटीएस ने 15 सितम्बर 2021 को बहराइच से मो. अबू बकर, ओसामा, जान मोहम्मद, लखनऊ में आलमबाग के प्रेमवतीनगर से मो. आमिर, प्रयागराज के करेली से जीशान और रायबरेली के ऊंचाहार से लाला उर्फ मूल चंद को पकड़ा गया था. एटीएस की मानें तो पकड़े गए इन आतंकियों की प्लानिंग अलीगढ़ में आयोजित प्रधानमंत्री मोदी की रैली को निशाना बनाना था. गिरफ्त में आए आतंकी यूपी और मुंबई को धमाकों से दहलाने की साजिश रचने और उसे अंजाम तक पहुंचाने वाले अंडरवर्ल्ड डॉन और इंडिया के मोस्ट वांटेड क्रिमिनल दाऊद इब्राहिम की गलत मंशा का एक बार और खुलासा हुआ.
इससे पहले लखनऊ में मई 2005 में एसटीएफ ने लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य सादात रशीद और इरफान को गिरफ्तार किया था. जबकि, दिसंबर 2006 में कैसरबाग से आईएसआई (ISIS) एजेंट अब्दुल शकूर और अनिल पकड़े गए थे. इसी तरह से जून 2007 में हूजी का एरिया कमांडर बाबू भाई और उसका साथी नौशाद सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे चढ़ा था. अगले ही महीने यानी जुलाई 2007 को आतंकी नूर इस्लाम की निशानदेही पर इंडस्ट्रियल एरिया से आरडीएक्स और डेटोनेटर बरामद हुए थे. नवंबर 2007 में फिर एसटीएफ ने जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकियों को लखनऊ से गिरफ्तार किया था. वर्ष 2009 नवंबर में पुराने लखनऊ से पाकिस्तान का जासूस आमिर अली पकड़ा गया था. मार्च 2017 में काकोरी में ही आईएसआईएस (ISIS) के खुरासान मॉड्यूल का आतंकी सैफुल्ला उर्फ सैफई एटीएस (ATS) के साथ एनकाउंटर में मारा गया था. इन आतंकियों के पास से भारी मात्रा में विस्फोटक और तमाम संवेदनशील स्थानों के रेकी कर बनाए गए नक्शे सुरक्षा एजेंसियों को मिले थे. इससे बड़ी वारदातें तो थम गईं, लेकिन आतंकियों का नेटवर्क लगातार बना हुआ है. इसे ध्वस्त करने में सुरक्षा एजेंसियां अभी असफल हैं.