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लखनऊ: अनलॉक-1 में डायल 112 पर कम हुआ कॉल का दबाव

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अनलॉक-1 शुरू होने के बाद अपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी होने लगी है. ईटीवी भारत से बातचीत में डायल 112 एडीजी असीम अरुण ने लॉकडाउन की तैयारियों और अनुभव को साझा किया है.

एडीजी असीम अरुण से बातचीत करते संवाददाता
एडीजी असीम अरुण से बातचीत करते संवाददाता

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Published : Jun 11, 2020, 9:28 AM IST

लखनऊ:कोरोना लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद डायल 112 पर फोन कॉल्स में करीब 90 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है. एडीजी डायल 112 असीम अरुण ने बताया कि लॉकडाउन के शुरुआती दौर में डायल 112 के पास रोजाना 10 हजार से अधिक फोन कॉल्स आते थे. इनमें राशन, दवाई, भीड़ की शिकायत मिलती थी. अब रोजाना लगभग 1000 कॉल्स आ रही हैं.

ज्यादातर मामले अपराध व विवाद से जुड़े रहते हैं. जिसे लेकर कहा जा सकता है कि लॉकडाउन के बाद छूट मिलने से डायल 112 पर दबाव कम हुआ है. लॉकडाउन के सभी चरणों में डायल 112 के सामने क्या चुनौतियां रहीं? अनलॉक में जनता की तमाम सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए डायल 112 ने क्या योजना बनाई हैं? इन पहलुओं पर ईटीवी भारत ने एडीजी 112 असीम अरुण से खास बातचीत की...आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या कहा-

112 पर रहने वाला दबाव हुआ कम
एडीजी असीम अरुण ने बताया कि लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद काफी हद तक फोन कॉल्स में कमी आई है. लिहाजा फोन को लेकर डायल 112 पर रहने वाला दबाव कम हुआ है. इसी के साथ एक चुनौती और बढ़ गई है. दरअसल लॉकडाउन में छूट मिलने से राजधानी में आपराधिक घटनाएं व विवादों से संबंधित कॉल अधिक आ रही हैं, जिसको लेकर हमने सभी कर्मचारियों को ब्रीफ किया है. एडीजी ने बताया कि एक प्लान तैयार किया गया है, जिससे थाने के साथ कोऑर्डिनेट कर आपराधिक घटनाओं पर तत्काल सूचना देते हुए कार्यवाही की जाए.

31 हजार कर्मचारी 112 पर कर रहे काम
एडीजी असीम अरुण ने बताया कि हमारे पास 45 हजार पीआरबी गाड़ियां हैं. 31 हजार कर्मचारी डायल 112 में काम कर रहे हैं. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान हमारी सबसे बड़ी चुनौती इंटरनल कम्युनिकेशन की रही. लॉकडाउन के शुरुआती दौर में कई नए नियम बने जो समय-समय पर बदलते भी रहे. ऐसे में हमारे कर्मचारियों को क्या करना है, क्या नहीं करना है, किस तरह से काम करना है, इन सारी बातों को उन तक पहुंचाना चुनौतीपूर्ण था.

जानकारी देते एडीजी असीम अरुण.

इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी से मिली मदद
उन्होंने बताया कि इस काम में इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी ने हमारी मदद की. हमने बेहतर कम्युनिकेशन स्थापित कर लोगों को सुविधा उपलब्ध कराई. आपसी संवाद के लिए इंटरनल कम्युनिकेशन सिस्टम बनाया. इसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की मदद से हमने पीआरबी में बैठे हुए कर्मचारी से सीधे संवाद किया. जिले में तैनात कर्मचारियों से भी हमने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की. यह अनुभव हमारे लिए बेहद खास रहा.

पुलिस कर्मचारियों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण
पुलिस कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर एडीजी असीम अरुण ने कहा कि पुलिस कर्मचारियों की सुरक्षा हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है. जब पुलिस कर्मचारी सुरक्षित होंगे, तभी दूसरों की मदद कर सकेंगे. इसके लिए हमने व्यवस्थाएं की हैं. सरकार की ओर से बजट की कोई कमी नहीं रही है. कर्मचारियों को कोरोना से बचाने के लिए हमने पीपीई, मास्क, सैनिटाइजर उपलब्ध कराया. कर्मचारियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक काढ़ा, विटामिन सी की दवाएं भी उपलब्ध कराई हैं.

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