लखनऊ : प्रदेश के विभिन्न अशासकीय विद्यालयों में तैनात तदर्थ शिक्षकों को बीते करीब एक साल से शिक्षा विभाग की ओर से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. वेतन भुगतान न होने से नाराज शिक्षक बीते 12 दिनों से माध्यमिक शिक्षा निदेशालय (शिविर कार्यालय) पर धरने पर बैठे हैं.
धरने पर बैठे तदर्थ शिक्षकों का कहना है कि 'वेतन भुगतान के लिए शिक्षक जिले के अधिकारियों से लेकर विभाग के अधिकारियों व सरकार के मंत्रियों तक के चक्कर लगा रहे हैं. हर कोई उन्हें बस वेतन जारी कराने का आश्वासन देकर उन्हें टाल दे रहा है. आलम यह है कि वेतन न मिलने से प्रदेश के करीब 1500 से अधिक तदर्थ शिक्षक भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. बीते 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना है कि वेतन न मिलने के कारण कई शिक्षक बच्चों की स्कूल फीस व इलाज तक नहीं करा पा रहे हैं. तदर्थ शिक्षकों का कहना है कि 'वह अपना वेतन जारी करने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक के सामने कई बार जा चुके हैं, लेकिन वो हर बार वेतन जारी कराने की बात कह कर मामले को टाल देते हैं. प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना है कि इस बार जब तक उनका वेतन जारी नहीं हो जाता वह अपना प्रदर्शन नहीं खत्म करेंगे.'
माध्यमिक तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के प्रभात कुमार त्रिपाठी का कहना है कि 'विभाग ने उन्हें लगातार 22 वर्षों तक नियमित वेतन और दूसरे भुगतान किए हैं, लेकिन बीते साल मई से विभाग में तदर्थ शिक्षकों के वेतन को रोक दिया है. उन्होंने बताया कि साल 1993 में आयोग के भंग होने के कारण अशासकीय विद्यालयों में प्रबंध तंत्र द्वारा शिक्षकों का चयन किया गया, जिन्हें बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर रेगुलर शिक्षक की तरह ही वेतन व दूसरे भत्ते देने का आदेश दिया गया था. इसके बाद से लगातार 22 वर्षों तक सभी तदर्थ शिक्षकों को वेतन मिलता आ रहा है. उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में प्रदेश के 32 जिलों में तदर्थ शिक्षकों की तैनाती है. इसमें से 14 जिलों में जिला विद्यालय निरीक्षक तदर्थ शिक्षकों का वेतन जारी कर रहे हैं, जबकि 18 जिलों में तैनात तदर्थ शिक्षकों को बीते 12 महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा है.'