लखनऊ: एक्यूपंक्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के तत्वावधान में शनिवार गोमती नगर स्थित एक होटल में सातवां नेशनल एक्यूपंक्चर और पहला अंतरराष्ट्रीय सिंपोजियम आयोजित किया गया. इस दो दिवसीय आयोजन में भारत के तमाम प्रदेशों से करीब 300 एक्यूपंक्चर विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया.
एक्यूपंक्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया पिछले 37 वर्षों से भारत में कार्यरत है. पूरे भारत में लगभग डेढ़ हजार सदस्य इससे जुड़े हुए हैं.
सिंपोजियम का उद्देश्य एक्यूपंक्चर के चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषज्ञ जो भी काम कर रहे हैं.वह आम लोगों तक पहुंचे और लोगों को पता चले कि इसके फायदे अधिक हैं और साइड इफेक्ट बिल्कुल नहीं हैं.
सिंपोजियम में आए एक्यूपंक्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. एम गंटैत ने बताया कि डॉ. विजय कुमार बासु ने 1959 में एक्यूपंक्चर को भारत में प्रचारित किया था. इस वर्ष वह 60 के वर्ष पूरे हो जाएंगे, जो कि हमारे लिए गर्व की बात है.
एक्यूपंक्चर एक 5000 साल पुरानी हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है. इसके बारे में भी पता लगा सकते हैं कि इस चिकित्सा पद्धति में ऐसी कौन सी नई तकनीक आई है, जिससे मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से किया जा सकता है.
इस चिकित्सा पद्धति में सुई से मरीजों का इलाज किया जाता था, जो कि आज भी किया जाता है. इसके साथ ही अब एक नई तकनीक भी आ गई है, जो कि काफी हद तक सफल साबित हो रही है .मरीजों को भी इससे एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति के प्रति विश्वसनीयता जगी है.