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लखनऊ: 'छपाक' से पहले ये था दीपिका पादुकोण के फिल्म का नाम, मेघना ने बताई टाइटल बदलने की वजह - लखनऊ में छपाक का प्रमोशन

एक साधारण लड़की लक्ष्मी अग्रवाल की एसिड पीड़िता बनने की कहानी को लेकर बनाई गई फिल्म छपाक खास बताई जा रही है. इस फिल्म का प्रमोशन कई तरह से किया जा रहा है. इस सिलसिले में लखनऊ में रविवार को फिल्म की स्टार कास्ट और डायरेक्टर मीडिया से मुखातिब हुए और बातचीत की.

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फिल्म प्रमोशन के लिए लखनऊ पहुंची छपाक की टीम

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Published : Jan 6, 2020, 3:09 AM IST

लखनऊ: एसिड पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर आधारित फिल्म 'छपाक'रिलीज को पूरी तरह तैयार है. इस सिलसिले में फिल्म की पूरी टीम जमकर प्रमोशन कर रही है. प्रमोशन के सिलसिले में बॉलीवुड एक्ट्रेस और इस फिल्म लीड किरदार दीपिका पादुकोण, विक्रांत मैसी और डायरेक्टर मेघना गुलजार रविवार लखनऊ पहुंचे. इस दौरान उन्होंने मीडिया से मुखातिब होकर फिल्म के सिलसिले में बातचीत की.

फिल्म प्रमोशन के लिए लखनऊ पहुंची छपाक की टीम.

काम को दौरान सख्ती से पेश आती हैं मेघना
प्रेसवार्ता के दौरान मीडिया से मुखातिब हुई दीपिका पादुकोण से जब पूछा गया कि मेघना डायरेक्टर के रूप में कैसी हैं तो उन्होंने कहा कि यह काम को लेकर बहुत ही स्ट्रिक्ट और बेहद संजीदा हैं. काम के दौरान सभी से बहुत सख्ती पेश आती हैं. साथ ही काम में कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं करती हैं. शायद यही वजह है कि इनके पास इतने अच्छे सब्जेक्ट होते हैं, जिस पर हर कोई काम करना चाहता है.

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पहले इस फिल्म का नाम गंधक था
'छपाक'फिल्म के नाम पर सवाल पूछे जाने पर मेघना ने बताया कि इस फिल्म का पहले नाम 'गंधक'रखा गया था. 'गंधक' सल्फ्यूरिक एसिड को कहा जाता है. मेघना ने कहा कि 'गंधक'शब्द इस फिल्म के टाइटल सॉन्ग में किसी तरह से फिट नहीं बैठ रहा था, जबकि 'छपाक'अपने आप में एक सुर और लय रखता है और पानी के आवाज को 'छपाक'कहा जाता है. लेकिन जब यह पानी एसिड में बदल जाए और किसी की जिंदगी खराब कर दे तो यह वाकई बेहद दर्दनाक होता है. 'छपाक' शब्द की यह आयरनी मुझे बहुत अच्छी लगी. इसी वजह से मैंने फिल्म का नाम 'छपाक'रखा.

फिल्म से एसिड अटैक विक्टिम्स को मिलेगा प्रोत्साहन
फिल्म से जुड़ी एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल ने इस मौके पर कहा कि भले ही फिल्म मेरी कहानी से जुड़ी है, लेकिन मैं जानती हूं कि आज भी समाज में कई ऐसी एसिड अटैक विक्टिम्स हैं जो सामने नहीं आ पा रही हैं, या जो अपनी जिंदगी को अब कुछ नहीं समझती हैं. मुझे लगता है कि इससे न केवल उन्हें आगे बढ़ने का प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि जो लोगों के दिमाग में तेजाब भरा है वह भी निकलेगा और वह समझेंगे कि तेजाब किसी के सपनों को नहीं रोक सकता.

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