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मायावती राज में गरीबों के आवास में हुआ था घोटाला, नपेंगे 10 अफ़सर और 1 मैनेजर - मायावती सरकार

30 अक्टूबर 2013 को अमेठी के मुसाफिर खाना थाने में डूडा के परियोजना अधिकारी के द्वारा दर्ज कराई गई. आईएचएसडीपी योजना के तत्कालीन प्रोजेक्ट मैनेजर कटार सिंह समेत आठ लोगों पर एफआईआर की जांच ईओडब्ल्यू ने पूरी कर ली है.

मायावती (फाइल फोटो)

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Published : Feb 23, 2019, 3:52 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व की मायावती सरकार की एक और योजना में हुए घोटाले के अफसरों पर कानून का शिकंजा कस गया है. गरीबों के आवास में किए गए करोड़ों के घोटाले में ईओडब्ल्यू ने जल निगम की कार्यदाई संस्था सीएनडीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर समेत 11 अफसरों को दोषी पाया है. घोटालेबाज अफसरों के खिलाफ एजेंसी चार्जशीट दाखिल करने जा रही है.

30 अक्टूबर 2013 को अमेठी के मुसाफिर खाना थाने में डूडा के परियोजना अधिकारी के द्वारा दर्ज कराई गई. आईएचएसडीपी योजना के तत्कालीन प्रोजेक्ट मैनेजर कटार सिंह समेत आठ लोगों पर एफआईआर की जांच ईओडब्ल्यू ने पूरी कर ली है. घोटाले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू ने इस मामले में नामजद किए गए कटार सिंह के साथ कार्यदाई संस्था सीएंडडीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर रेजिडेंट इंजीनियर से लेकर अकाउंटेंट के अलावा जीएम दोषी पाए गए हैं.

10 अफसर और एक ठेकेदार को दोषी पाया है
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में जल निगम की निर्माण इकाई और परियोजना की कार्यदाई संस्था सीएनडीएस के 10 अफसर और एक ठेकेदार को दोषी पाया है. ईओडब्लू दोषी पाए गए सभी 11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने जा रही है. बता दें कि साल 2011 में आईएचएसडीपी योजना के तहत अमेठी के मुसाफिरखाना इलाके में गरीबों की जमीन पर आवास बना कर दिए जाने की योजना का यह मामला है. योजना के तहत 534 आवास जिनकी लागत 15 करोड़ 85 लाख 91 हजार रुपये बनाए जाने थे.

परियोजना अधिकारी ने दर्ज कराया था मामला
परियोजना के तहत जल निगम की निर्माण इकाई और योजना की परियोजना की कार्यदाई संस्था सीएनडीएस को 29 नवंबर 2011 को पहली किस्त 7 करोड़ 15 लाख 4 हजार भेज दी गई. पहली किस्त के तहत कार्यदाई संस्था को 300 आवास बनाने थे, लेकिन संस्था ने घटिया निर्माण कर सिर्फ 122 आवास ही बनाकर दिए, जिसकी शिकायत तत्कालीन डीएम ने जल निगम के एमडी से लेकर शासन तक की. जिला स्तर पर तीन जांच समिति गठित की गई, तीनों समितियों की रिपोर्ट में घटिया निर्माण की पुष्टि हुई और जिसके बाद इस मामले में पहली एफआईआर 30 अक्टूबर 2013 को डूडा के परियोजना अधिकारी के द्वारा मुसाफिरखाना थाने में दर्ज कराई गई थी.

फिलहाल ईओडब्ल्यू ने आईएचएसडीपी योजना के तहत गरीबों के मकान की करोड़ों की रकम हड़पने वाले 11 अफसर प्रोजेक्ट मैनेजर कटार सिंह, प्रोजेक्ट मैनेजर राम दरस प्रसाद, मैनेजर राजेंद्र प्रसाद, रेजिडेंट इंजीनियर एलके मिश्रा और राधेश्याम सिंह, लोकल इंजीनियर सुभाष चंद्र गुप्ता,अकाउंटेंट जयकरण सिंह, यूनिट अकाउंटेंट नासिर अली, राम प्रकाश तिवारी और जल निगम सीएनडीएस के जीएम ब्रजेश नारायण श्रीवास्तव के साथ साथ निजी कंपनी एमके एसोसिएट्स के मालिक विपिन कुमार को दोषी पाया है और जिनके खिलाफ चार्जशीट भेजी जाएगी.

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