लखनऊ:उत्तर प्रदेश में अवैध रुप से रोहिंग्याओं की घुसपैठ का खुलासा हुआ है. गहरी साजिश से भरे इनके मंसूबे अब जाहिर होने लगे हैं. रोहिंग्या फर्जी दस्तावेज से अपनी पहचान बदलकर अब कई जिलों में अपनी जड़ें जमा चुके हैं. जांच एजेंसियों के सामने आंतरिक सुरक्षा के लिए मुसीबत बनते जा रहे रोहिंग्याओं को खोज निकालने की चुनौती खड़ी हो गई है. खुफिया एजेंसियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 1800 से अधिक रोहिंग्या के डेरा जमा चुके हैं.
बीते 8 जून को गाजियाबाद से पकड़े गए दो रोहिंग्या नागरिकों से पूछताछ में आतंक निरोधक दस्ता यानी UP ATS को ऐसी कई अहम जानकारियां मिली हैं, जो चौंकाने वाली हैं. जानकारी के मुताबिक, प्रतिबंधित सिमी समर्थित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के नेता इन विदेशी घुसपैठियों को संरक्षण दे रहे हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि थोड़ा सा लालच देकर इन्हें आसानी से देश विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जा सकता है.
दस्तावेजों के आधार पर सरकारी योजनाओं का लेते हैं लाभ
पिछले दिनों आतंकवाद निरोधक दस्ता (ATS) ने रोहिंग्याओं की छानबीन तेज की तो पहली बार 6 जनवरी को पहचान बदलकर रह रहा अजीजुल्लाह हक संतकबीरगनर से हत्थे चढ़ा. फिर 28 फरवरी को अलीगढ़ और उन्नाव में पहचान बदलकर रह रहे रोहिंग्या भाई हसन और शाहिद पकड़े गए. बीते 8 जून को गाजियाबाद क्षेत्र से रोहिंग्या नागरिक आमिर हुसैन और नूर आलम को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद फारुख के भाई शाहिद को 1 मार्च को उन्नाव से दबोचा गया. शाहिद के बहनोई जुबैर के बारे में भी जानकारी मिली, लेकिन वह एटीएस के हाथ नहीं आया. नूर आलम अजीजुल्लाह का बहनोई है. बंग्लादेश के रास्ते रोहिंग्या नागरिकों को देश में लाने के ये दोनों सबसे बड़े दलाल हैं. आमिर हुसैन देश में अवैध तरीके से एंट्री करके करीब दो साल से दिल्ली के खजुरी खास थानाक्षेत्र के श्रीराम कॉलोनी में ठिकाना बनाकर रह रहा था. इनके पकड़े जाने के बाद ही वह बड़ा खेल सामने आया, जिसके तहत ठेके पर रोहिंग्या को बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ कराने से लेकर जिलों में ठिकाना दिलाने और फर्जी दस्तावेज के जरिए उनकी पहचान बदलने का खुलासा हुआ. एटीएस के एक अधिकारी ने बताया कि रोहिंग्या यहां फर्जी आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज हासिल करके सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हैं. इसी आधार पर वह भारत का पासपोर्ट बनवा लेते हैं. इसके बाद उन्हें खाड़ी देशों में नौकरी मिलना आसान हो जाता है.
मीट कारखाने में दिलाया जा रहा रोजगार
ATS के एक इंस्पेक्टर ने बताया कि सिंडीकेट के तहत रोहिंग्या से कमीशन लेकर उन्हें मीट कारखानों में काम दिलवाया जा रहा है. रोहिंग्या की हवाला नेटवर्क में भी पैठ जम चुकी है और वे हवाला के जरिए ही म्यांमार और बांग्लादेश में अपनों को रकम तक भेज रहे हैं. पिछले दिनों गिरफ्तार नूर आलम के एक करीबी का कई राज्यों में नेटवर्क है. वह बंगाल, बिहार, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल में भ्रमण करता रहता है. एटीएस को इसकी तलाश है. सूबे में 2000 से अधिक रोहिंग्या के डेरा जमाने की बात सामने आई है. एटीएस रोहिंग्या को चिन्हित कर उनकी गिरफ्तारी के लिये लगातार दबिश दे रही है.