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यूपी बोर्ड का नया शैक्षिक सत्र शुरू, बाजार से किताबें नदारद, भटके रहे बच्चे और अभिभावक

यूपी बोर्ड का नया शैक्षिक सत्र शुरू हो चुका है. स्कूल प्रबंधन नए क्लासों में एडमिशन दे चुके हैं और मोटी फीस वसूल चुके हैं, लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित किताबें बाजार से नदारद हैं. बताते हैं इस साल अभी तक किताबों के प्रकाशन के लिए टेंडर ही नहीं हुआ है.

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Published : Apr 21, 2023, 6:44 PM IST

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लखनऊ : यूपी बोर्ड का शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से शुरू हो चुका है. सत्र शुरू होने के 20 दिन बाद भी अभी तक मार्केट में यूपी बोर्ड की सभी किताबें नहीं उपलब्ध हो पाई हैं. बोर्ड की ओर से पिछले साल तीन प्रकाशकों को 34 विषयों की 67 किताबों की सूची दी गई थी. जिन्हें एनसीईआरटी के पैटर्न पर इन किताबों को प्रिंट कर मार्केट में उपलब्ध कराना था. बीते साल अक्टूबर तक भी यह किताबें मार्केट में नहीं आ पाई थीं. जिसके बाद राजधानी लखनऊ में जिला विद्यालय निरीक्षक ने प्रकाशकों से डायरेक्ट किताबें मंगा कर जुबली इंटर कॉलेज में काउंटर लगाकर बच्चों को किताबें बेची गई थीं. इस बार तो स्थिति उससे भी विकट है. इस साल का तो अभी तक नई किताबों के लिए टेंडर हुआ है और ना ही पुराने प्रकाशक को हटाया गया है. ऐसे में बच्चे पुराने प्रकाशक की किताब खरीदें या नए प्रकाशक की किताबें आने का इंतजार करें. ऐसे में बच्चे किताबों के लिए दर-दर भटक रहे हैं.


यूपी बोर्ड में इस साल तीन प्रकाशकों की किताबें चलेंगी या नहीं इसको लेकर अभी कोई प्रक्रिया तय नहीं है. बोर्ड की ओर से वेबसाइट पर केवल सभी क्लासेस के विषयों के पीडीएफ अपलोड कर दिए गए हैं. बच्चों को यह नहीं पता कि वह किस प्रकाशक की किताबें खरीदें. ज्यादातर स्कूलों ने बच्चों को एनसीईआरटी किताबें ही लेने के निर्देश दिए हैं, पर वह किताबें भी मार्केट से गायब हैं. जबकि बीते साल जिन तीन प्रकाशकों को किताबों के टेंडर जारी किया गया था. उनकी किताबें भी इस साल नहीं मिल रही हैं. शिक्षा परिषद के विद्यालयों के प्रधानाचार्यों का कहना है कि प्रकाशकों ने टेंडर ना होने के कारण किताबें नहीं छापी हैं.


माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश के मंत्री डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2017 में माध्यमिक शिक्षा परिषद में अपने यहां पर एनसीआरटी सिलेबस को लागू कर दिया है. इस साल एनसीईआरटी ने नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप अपने पूरे पाठ्यक्रम में बदलाव किया है. ऐसे में नए स्तर से सारी किताबें प्रिंट होकर आनी हैं, पर विभाग नई किताबें कौन प्रकाशित करेगा, इसका टेंडर अभी तक नहीं किया है. राजधानी में करीब 800 से अधिक माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यालय में पढ़ रहे हैं. करीब 5 लाख से अधिक छात्र बिना किताबों के ही सत्र में पढ़ाई कर रहे हैं. प्रदेश में 4500 से अधिक माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में करीब तीन करोड़ से ऊपर छात्रों को किताबें नहीं मिल सकी हैं. डॉ. मिश्रा ने बताया कि सरकारी व सहायता प्राप्त सरकारी स्कूलों में शिक्षक माध्यमिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट पर उपलब्ध कक्षावार पीडीएफ डाउनलोड कर बच्चों को पढ़ाई करा रहे हैं. वहीं प्राइवेट स्कूल में तो मार्केट में उपलब्ध दूसरे प्रकाशकों की किताबों से सत्र शुरू करा दिया है.

गर्मी की छुट्टियों के बाद किताबें आने की उम्मीद

माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों के प्रधानाचार्यों का कहना है कि यूपी बोर्ड में बीते साल भी अक्टूबर महीने तक किताबें प्रकाशक नहीं उपलब्ध करा पाया था. इस साल तो प्रकाशक अभी तक तय ही नहीं हुए हैं. ऐसे में गर्मी की छुट्टियों के बाद ही किताबें मिलने की उम्मीद है. कुछ प्रधानाचार्य का कहना है कि मार्केट में प्रकाशकों ने वेबसाइट पर मौजूद पीडीएफ के अनुसार किताबें प्रकाशित कर मार्केट में उपलब्ध करा दी हैं, पर हम उन किताबों को लेने के लिए बच्चों को नहीं कह सकते हैं. अगर सरकार ने किताबों का टेंडर किसी और कंपनी को दे दिया. तो ऐसे में बच्चों का नुकसान होना तय है. इस पूरे मामले पर जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार पांडे का कहना है कि सभी स्कूलों को जब तक किताबें मुहैया नहीं हो जाती हैं. बच्चों को पीडीएफ डाउनलोड कर वितरित करने को कहा गया है. ताकि उनकी पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके. अगले कुछ दिनों में किताबें मुहैया करा दी जाएंगी. शासन स्तर पर इसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है.

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