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फैमिली कोर्ट में रोजाना दर्ज हो रहे 50 केस, सालों से पेडिंग हैं हजारों केस

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Published : Feb 16, 2022, 2:16 PM IST

फैमिली कोर्ट में ज्यादातर केस तलाक, बच्चे की कस्टडी, गुजारा भत्ता, घरेलू हिंसा से सम्बंधित आते हैं. इनमें से ज्यादातर न्यूली मैरिड कपल के होते हैं या फिर जिन्होंने एक साथ 30 साल बिता लिए उनके तलाक के केस आते हैं. यह जानकारी वरिष्ठ वकील सिद्धांत कुमार और घनश्याम ने दी.

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फैमिली कोर्ट

लखनऊ: फैमिली कोर्ट में ज्यादातर केस तलाक, बच्चे की कस्टडी, गुजारा भत्ता, घरेलू हिंसा से सम्बंधित केस ज्यादा आते हैं. इनमें से ज्यादातर न्यूली मैरिड कपल के होते हैं या फिर जिन्होंने एक साथ 30 साल बिता लिए उनके तलाक के केस आते हैं. दोनों ही बातों में काफी अंतर है. वकीलों का कहना है कि जो रिश्ते टूट रहे हैं, उनके पीछे वजह बहुत छोटी-छोटी होती हैं. आजकल ज्यादातर तलाक के कारणों में इंटरनेट की बड़ी भूमिका है. पारिवारिक न्यायालय में रोजाना करीब 50 केस दर्ज होते हैं. जबकि सुनवाई या मामले का फैसला एक भी केस का नहीं होता है. तारीखें बदलती रहती हैं और केस सालों चलता रहता है.

कोरोना की तीसरी लहर आने के बाद कोर्ट दो महीने से बंद था और ऑनलाइन कोर्ट चल रहे थे. लेकिन अब कोर्ट खुल चुके हैं. वरिष्ठ वकील सिद्धांत कुमार बीते 30 सालों से इस प्रोफेशन में है. उन्होंने तरह-तरह के केस सॉल्व किए हैं. वकील सिद्धांत कुमार बताया कि फैमिली कोर्ट में जो मामले आते हैं उनमें कोई समानता नहीं होती है. सभी केस की अलग-अलग वजह होती हैं, भले ही मकसद एक हो.

जानकारी देते हुए वरिष्ठ वकील सिद्धांत कुमार व घनश्याम



वरिष्ठ वकील सिद्धांत कुमार बताते हैं कि 30 सालों के एक्सपीरियंस में ज्यादातर कोशिश रही है कि पति-पत्नी का समझौता करा दिया जाए. लेकिन जब बात ज्यादा बिगड़ जाती है या आपसी मतभेद ज्यादा हो जाता है, ऐसे केस को हाथ में लेते हैं. कोरोना काल में घरेलू हिंसा के मामले ज्यादा दर्ज हुए हैं. कोरोना काल में जब पति-पत्नियों ने जब घर पर ज्यादा समय बिताया है, उसी बीच छोटी-छोटी बातों पर नोकझोंक की वजह से ऐसे मामले सामने आए हैं. कोर्ट खुलते ही तलाक के लिए लोग आने लगे हैं. समझौता की जगह लोगों ने तलाक को ज्यादा प्राथमिकता दी है. क्योंकि जब पति पत्नी के बीच में अच्छा तालमेल न हो, एक-दूसरे के साथ बातों को छिपाने की आदत हो. एक्स्ट्रा लव और ऑनलाइन चैटिंग के कारण रिश्ता टूट रहा है.

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वहीं वरिष्ठ वकील घनश्याम 27 सालों से पारिवारिक न्यायालय में लोगों का केस लड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि वैसे तो पारिवारिक न्यायालय में तमाम तरीके के केस हैं. बच्चे की कस्टडी का केस, गुजारा भत्ते का केस और तलाक का केस. तलाक के नए-नए केस सामने आते हैं. इसकी वजह सुनकर हम खुद हैरान हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि फरवरी महीने में उनके पास 6 केस आ चुके हैं, जिन्होंने लव मैरिज की और फिर एक महीने बाद डाइवोर्स के लिए फाइल किया. इसके पीछे की प्रमुख वजह ईगो है. न लड़का झुकना चाहता है और न लड़की. फरवरी में लगभग 700 से अधिक केस फाइल हुए हैं.

अधिवक्ता घनश्याम बताते हैं कि साल 2018 से पहले सिर्फ दो कोर्ट परिवारिक न्यायालय में थे. लेकिन को कोविड से पहले नौ पारिवारिक कोर्ट और बने. वर्तमान में फैमिली कोर्ट में 11 कोर्ट हैं. इसमें से केवल सात कोर्ट चल रही हैं. फिलहाल सारे केस पेंडिंग हैं और तारीखें बदलती रहती हैं. उनके पास कई केस करीब नौ सालों से चल रहे हैं, जिसका फैसला आज तक नहीं हुआ है.

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