लखनऊ: फैमिली कोर्ट में ज्यादातर केस तलाक, बच्चे की कस्टडी, गुजारा भत्ता, घरेलू हिंसा से सम्बंधित केस ज्यादा आते हैं. इनमें से ज्यादातर न्यूली मैरिड कपल के होते हैं या फिर जिन्होंने एक साथ 30 साल बिता लिए उनके तलाक के केस आते हैं. दोनों ही बातों में काफी अंतर है. वकीलों का कहना है कि जो रिश्ते टूट रहे हैं, उनके पीछे वजह बहुत छोटी-छोटी होती हैं. आजकल ज्यादातर तलाक के कारणों में इंटरनेट की बड़ी भूमिका है. पारिवारिक न्यायालय में रोजाना करीब 50 केस दर्ज होते हैं. जबकि सुनवाई या मामले का फैसला एक भी केस का नहीं होता है. तारीखें बदलती रहती हैं और केस सालों चलता रहता है.
कोरोना की तीसरी लहर आने के बाद कोर्ट दो महीने से बंद था और ऑनलाइन कोर्ट चल रहे थे. लेकिन अब कोर्ट खुल चुके हैं. वरिष्ठ वकील सिद्धांत कुमार बीते 30 सालों से इस प्रोफेशन में है. उन्होंने तरह-तरह के केस सॉल्व किए हैं. वकील सिद्धांत कुमार बताया कि फैमिली कोर्ट में जो मामले आते हैं उनमें कोई समानता नहीं होती है. सभी केस की अलग-अलग वजह होती हैं, भले ही मकसद एक हो.
वरिष्ठ वकील सिद्धांत कुमार बताते हैं कि 30 सालों के एक्सपीरियंस में ज्यादातर कोशिश रही है कि पति-पत्नी का समझौता करा दिया जाए. लेकिन जब बात ज्यादा बिगड़ जाती है या आपसी मतभेद ज्यादा हो जाता है, ऐसे केस को हाथ में लेते हैं. कोरोना काल में घरेलू हिंसा के मामले ज्यादा दर्ज हुए हैं. कोरोना काल में जब पति-पत्नियों ने जब घर पर ज्यादा समय बिताया है, उसी बीच छोटी-छोटी बातों पर नोकझोंक की वजह से ऐसे मामले सामने आए हैं. कोर्ट खुलते ही तलाक के लिए लोग आने लगे हैं. समझौता की जगह लोगों ने तलाक को ज्यादा प्राथमिकता दी है. क्योंकि जब पति पत्नी के बीच में अच्छा तालमेल न हो, एक-दूसरे के साथ बातों को छिपाने की आदत हो. एक्स्ट्रा लव और ऑनलाइन चैटिंग के कारण रिश्ता टूट रहा है.
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